अध्याय 1 : भूमिका एवं संवैधानिक आधार
1.1 भूमिका (Introduction)
भारतीय रेलवे देश का
सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है,
जहाँ
लाखों कर्मचारियों की नियुक्ति एवं पदोन्नति होती है। इतनी विशाल व्यवस्था में
सामाजिक न्याय एवं समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण नीति को सुव्यवस्थित
रूप से लागू करना अत्यंत आवश्यक है। इसी उद्देश्य से भारतीय रेलवे में आरक्षण रोस्टर प्रणाली (Reservation Roster System) अपनाई जाती है।
आरक्षण रोस्टर केवल प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह संविधान में निहित समानता, प्रतिनिधित्व और सामाजिक संतुलन के सिद्धांतों का व्यावहारिक रूप है। यह प्रणाली यह सुनिश्चित करती है कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को उनके निर्धारित अनुपात में अवसर प्राप्त हों।
1.2 संवैधानिक आधार (Constitutional Basis)
भारतीय रेलवे में आरक्षण
की संपूर्ण व्यवस्था भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों पर आधारित है:
·
अनुच्छेद 14
: विधि के समक्ष समानता
·
अनुच्छेद 15(4) : सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए विशेष
प्रावधान
·
अनुच्छेद 16(4) : सरकारी सेवाओं में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण
·
अनुच्छेद 16(4A) : पदोन्नति में SC/ST
के
लिए आरक्षण
·
अनुच्छेद 16(4B) : बैकलॉग रिक्तियों से संबंधित प्रावधान
इन संवैधानिक प्रावधानों
के अंतर्गत केंद्र सरकार एवं रेलवे बोर्ड समय-समय पर आदेश एवं परिपत्र जारी करते
हैं, जिनके आधार पर रेलवे में
आरक्षण लागू किया जाता है।
1.3 रेलवे बोर्ड की भूमिका
भारतीय रेलवे में आरक्षण
से संबंधित सभी नीतिगत निर्णय
रेलवे बोर्ड (Railway
Board) द्वारा लिए जाते
हैं। रेलवे बोर्ड द्वारा जारी परिपत्र (RBE
– Railway Board Establishment Circulars) सभी ज़ोनल रेलवे एवं उत्पादन इकाइयों पर
समान रूप से लागू होते हैं।
रेलवे बोर्ड का दायित्व
होता है कि:
- न्यायालयों
के निर्णयों का अनुपालन किया जाए
- आरक्षण
नीति में समयानुसार संशोधन किए जाएँ
- रोस्टर
प्रणाली को व्यावहारिक एवं स्पष्ट बनाया जाए
1.4 आरक्षण रोस्टर का महत्व
आरक्षण रोस्टर प्रणाली
के बिना आरक्षण नीति का सही, संतुलित और
न्यायसंगत क्रियान्वयन संभव नहीं है। रोस्टर प्रणाली प्रशासन को यह स्पष्ट दिशा
देती है कि किस पद पर किस श्रेणी का उम्मीदवार नियुक्त किया जाना है। इससे न केवल
नियमों का पालन सुनिश्चित होता है,
बल्कि
पारदर्शिता भी बनी रहती है।
रोस्टर प्रणाली के
माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी वर्ग को न तो आवश्यकता से अधिक
लाभ मिले और न ही उसे उसके संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जाए। यह प्रणाली विशेष
रूप से बड़े संगठनों जैसे भारतीय रेलवे में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहाँ नियुक्तियों की संख्या बहुत अधिक होती
है।
1.5 सामाजिक न्याय और रेलवे प्रशासन
भारतीय रेलवे केवल एक
परिवहन संस्था नहीं है, बल्कि यह
सामाजिक समावेशन (Social
Inclusion) का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। रेलवे में आरक्षण नीति का उद्देश्य केवल
नौकरियाँ प्रदान करना नहीं, बल्कि समाज के
वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाना है।
रेलवे प्रशासन यह
सुनिश्चित करता है कि सामाजिक न्याय के सिद्धांत प्रशासनिक दक्षता के साथ संतुलित
रहें। आरक्षण रोस्टर इसी संतुलन को बनाए रखने का एक सशक्त उपकरण है।
1.6 आरक्षण और समान अवसर का सिद्धांत
भारतीय संविधान समान
अवसर (Equal Opportunity) की गारंटी देता
है। आरक्षण नीति इसी सिद्धांत का व्यावहारिक विस्तार है। रेलवे में रोस्टर प्रणाली
यह सुनिश्चित करती है कि समान अवसर का सिद्धांत केवल सैद्धांतिक न रह जाए, बल्कि वास्तविक रूप से लागू हो।
रोस्टर प्रणाली के
अंतर्गत प्रत्येक नियुक्ति एक पूर्व-निर्धारित नियम के अनुसार होती है, जिससे मनमानी या पक्षपात की कोई गुंजाइश
नहीं रहती।
1.7 आरक्षण रोस्टर और प्रशासनिक अनुशासन
आरक्षण रोस्टर प्रणाली
रेलवे प्रशासन में अनुशासन स्थापित करती है। यह प्रणाली अधिकारियों को स्पष्ट
दिशा-निर्देश प्रदान करती है, जिससे निर्णय
लेने में एकरूपता बनी रहती है।
रोस्टर के अभाव में
नियुक्तियाँ असंगत हो सकती हैं, जिससे विवाद, आपत्तियाँ और न्यायिक हस्तक्षेप की संभावना
बढ़ जाती है। इसलिए रोस्टर का सही रख-रखाव प्रशासनिक उत्तरदायित्व का अभिन्न अंग
है।

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