किसी सरकारी कर्मचारी को तब तक दण्डित नही किया जा सकता है जब तक उसे उसके विरुध्द लगाये गये आरोपों की जानकारी न दे दी गयी हो तथा उसे अपने बचाव का युक्तिसंगत अवसर न प्रदान किया गया हो।
बर्खास्तगी, पदच्युति व पदावनति जैसे तीनो दण्डो के अतिरिक्त (i) समय वेतनमान के निचले स्तर पर पदावनति तथा (ii) निचले वेतनमान पद , श्रेणी अथवा सेवा पर पदावनति, को भी अनुशासन एवं अपील नियमो के अंतर्गत दण्ड की सूची में जोड़ा गया है, जिन्हें कर्मचारी को दिये जाने से पूर्व संविधान की धारा 311 (2) के अनुसार बचाव का युक्तिसंगत अवसर प्रदान किया जाना आवश्यक है।
नोट - ऐसे विवरण जो आरोपपत्र के साथ संलग्न नही उन्हें जाँच की कार्यवाही में शामिल नही किया जायेगा।
दीर्घ आरोप – पत्र
में निम्नलिखित प्रविष्टियो को शामिल किया जाना चाहिए :-
i. आरोपित कर्मचारी का पूरा विवरण
ii. जाँच प्रक्रिया चलाने का निश्चय
iii.
दस्तावेजो के निरीक्षण की सुविधा
iv.
बचाव सहायक नामित करने की सुविधा
v.
लिखित बचाव प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की सुविधा
vi.
राजनैतिक या बाह्य पैरवी एवं हस्तक्षेप के विरुद्ध चेतावनी
vii. जांच कार्यवाही मे अनुपस्थित पर एकतरफा कार्यवाही की चेतावनी
दीर्घ आरोप – पत्र के साथ चार अनुलग्नक संलग्न किये जाते
है :-
i. आरोपों के शीर्षक - अनुलग्नक – i
ii. आरोपों के शीर्षक का
विस्तृत वर्णन - अनुलग्नक – ii
iii. विश्वसनीय दस्तावेजो एवं प्रालेख की
सूची-अनुलग्नक
– iii
iv. सरकारी पक्ष के गवाहों की सूची - अनुलग्नक – iv
उपरोक्त चारो अनुलग्नक पर अनुशासित प्राधिकारी
के हस्ताक्षर अवश्य होने चाहिये अन्यथा आरोप – पत्र तकनीकी आधार पर त्रुटीपूर्ण मानकर
निरस्त करा जा सकता है ।
4. उसे अपना प्रथम लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का पर्याप्त समय दिया जाना चाहिये यदि वह कुछ अतिरिक्त प्रलेखो की मांग करे तो उन्हें यदि ऐसा करना प्रशासनिक अथवा लोकहित के विरुध्द न हो, तो उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
5. उसके लिखित स्पष्टीकरण के हर बिंदु पर
निष्पक्ष तथा पूर्वाग्रह रहित भाव से विचार करने पश्चत ही जाँच करने का निर्णय
किया जाना चाहिये। यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक हो तो उसे उसी स्तर पर आरोपों को
समाप्त कर देना चाहिए अथवा यदि लघुदण्ड देना न्यायोचित हो तो लघुदण्ड देकर
अनावश्यक लम्बी जाँच कार्यवाही से परहेज करना चाहिये।
7. रेल सेवक अपना मामला उसी रेल प्रशासन में कार्यरत किसी अन्य रेल कर्मी की सहायता से प्रस्तुत कर सकेगा, इसमें सेवानिवृत रेल कर्मी भी शामिल है। मान्यता प्राप्त संगठन के पदाधिकारी जिसने संगठन में पदाधिकारी के रूप में एक वर्ष लगातार कार्य किया है, कि सहायता से कर्मचारी अपना मामला प्रस्तुत कर सकता है।
नोट -
i. अगर सेवानिवृत कर्मचारी को बचाव सहायक बनाया जाता है तो उसके लिए यह शर्त होगी कि इस मामले सहित एक समय में उसके पास सात से अधिक मामले न हो (RBE 83/03)
ii. आरोपित रेल कर्मचारी की सहायता हेतु नामित रेल कर्मचारी का विशेष पास के अतिरिक्त एक मामले में अधिकतम 03 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश सक्षम अधिकारी के विवेकाधिकार के अधीन स्वीकृत किया जा सकता है, लेकिन कोई यात्रा भत्ता व महंगाई भत्ता देय नही होगा तथा उस तरह का विशेष आकस्मिक अवकाश अन्य नियमित अवकाश तथा आकस्मिक अवकाश के साथ जोड़ा जा सकेगा। (Rly. Bd’s letter No.: E(D&A)64 RG 6 – 22 dt. 02.02.1967 (NR PS 3842) & E (G)68LE 1- 17 dt. 26/28.11.68 (NR PS 4533))
8. जाँच के दौरान अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने, बचाव पक्ष के गवाहों को प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना चाहिये। अतिरिक्त प्रलेखो के आधार पर अपना तर्क रखने का अवसर भी कर्मचारी को दिया जाना चाहिये।
9. आरोपित कर्मचारी को अपना लिखित ब्यान तथा जाँच के अंत में लिखित सारांश प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाना चाहिये।
10. जाँच अधिकारी को साक्ष्यो का न्यायिक मूल्यांकन करके निष्पक्ष जाँच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिये तथा उस जांच की प्रति आरोपित कर्मचारी को, अनुशासनिक प्राधिकारी के निर्णय से पूर्व , प्रदान की जानी चाहिये।
11. जाँच की समाप्ति पर एक रिपोर्ट तैयार की जायेगी और उसमे निम्नलिखित बाते अंतर्विष्ट होगी :-
क. आरोप की मद और अवचार और कदाचार के लांछनो
का विवरण,
ख. रेल सेवक का प्रतिवाद
ग. आरोप के हर एक मद के बारे में साक्ष्य का
निर्धारण,
घ. आरोप के हर एक मद पर निष्कर्ष और उसके कारण।
12. अनुशासनिक प्राधिकारी को जाँच रिपोर्ट तथा उस पर प्रस्तुत आरोपित कर्मचारी के प्रतिवेदन पर निष्पक्ष रूप से विचार करके ही निर्णय लेना चाहिए तथा यदि ऐसा करना न्याय के हित में हो तो स्वयं अथवा जाँच अधिकारी व्दारा और आगे जाँच करायी जानी चाहिये।
13. जाँच अधिकारी के निष्कर्षो से असहमति की
स्थिति में अनुशासनिक अधिकारी यदि आरोपों को सिध्द मानता
हो तो, आरोपित कर्मचारी को उसकी
सूचना देनी चाहिए तथा उसे उन बिन्दुओ पर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का अवसर
प्रदान किया जाना चाहिये।
14. जाँच अधिकारी से प्राप्त रिपोर्ट को आरोपित कर्मचारी को भेजते समय अनुशासनिक अधिकारी को प्रयोग नही करना चाहिये ताकि ऐसा प्रतीत न हो कि जाँच रिपोर्ट पर कर्मचारी के प्रत्यावेदन से पूर्व ही अनुशासनिक अधिकारी पूर्वाग्रह से ग्रस्त है।(विजिलेंश व विजिलेंश के अतिरिक्त विभागीय जाँच के मामले में
(Inquiry officer
& Presenting officer ) को मानदेय का भुगतान – RBV 12/11 &RBE
44/15
)
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