रेल सेवा आचरण नियम
ये नियम 1966 में बनाए गए। इसके तहत रेल कर्मियों के आचरण के मानक निहित है, जिनका पालन प्रत्येक रेल कर्मचारी को करना होता है। ये संख्या में 26 हैं जिनका उल्लेख रेल स्थापना संहिता भाग (प) के परिशिष्ठ में किया गया है। इनका संक्षेप विवरण निम्न प्रकार है -
नियम सं. 1 - इसमेंरेल सेवा आचरण नियम की उद्देशिका उल्लेखित है।
नियम सं. 2 - इसमें आचरण नियम सम्बन्धी परिभाषाएं उल्लेखित की गई हैं।
नियम सं. 3 - यह एक महत्वपूर्ण नियम है जिसका उपयोग अनुशासनिक कार्यवाहियों में प्रायः किया जाता है। इसके तहत निम्न उपनियम हैं-
3(1) - प्रत्येक रेल कर्मचारी हर समय -
(I) पूर्ण रूप से सत्यनिष्ठ रहेगा,
(II) कर्तव्य परायण रहेगा,
(III) ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जो एक रेल कर्मचारी या सरकारी कर्मचारी के लिए अशोभनीय हो।
3(2) - (i) पर्यवेक्षक पद धारण करने वाला प्रत्येक रेल कर्मचारी अपने अधीनस्थ काम करने वाले सभी कर्मचारी की सत्यनिष्ठ और कर्तव्य परायणता सुनिश्चित करेगा,
ii) प्रत्येक रेल कर्मचारी सक्षम अधिकारियों के निर्देशानुसार कार्य करेगा, लिखित निर्दश नहीं होने पर यथाशीघ्र निर्देशों की पुष्टि लिखित में प्राप्त करेगा, परिस्थितियां उत्पन्न होने पर विवेकाधिकार से सर्वोंत्तम निर्णय लेकर कार्य करेगा,
3(3) - (i) प्रत्येक रेल कर्मचारी तत्परता और शिष्टता से कार्य करेगा और सौंपे गए कार्यों में अनावश्यक विलम्ब नहीं करेगा,
(ii) प्रत्येक रेल कर्मचारी सरकार द्वारा बनाई गई नितियों का पालन करेगा जैसे - विवाह करने की उम्र, पर्यावरण की संरक्षा, वन्य जीवों का संरक्षण, सांस्कृतिक विरासतों का संरक्षण एवं महिलाओ के विरूद्ध अपराधों/क्ररता के सम्बन्ध में बनाई गई नितियां,
(iii) प्रत्येक रेल कर्मचारी किसी महिला के प्रति उसके कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार की प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष अभद्रता/यौन उत्पीड़न का कार्य नहीं करेगा तथा पर्यवेक्षक प्रभारी इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समुचित प्रयास करेगा।
नियम सं. 4 - कोई भी रेल कर्मचारी सरकारी सहायता प्राप्त कम्पनी या फर्म में नौकरी के लिए अपने प्रभाव का उपयोग नहीं करेगा।
नियम सं. 5 - रेल कर्मचारी का राजनीति एवं चुनाव में भाग लेना वर्जित है - चुनाव प्रचार तथा किसी के पक्ष में अपने प्रभाव का उपयोग अथवा किसी राजनीतिक दल का सदस्य एवं उसकी सहायता इत्यादि नहीं करेगा। वोट दते समय यह प्रकट नहीं करेगा कि उसने किसको वोट दिया है या वह किस जीताना चाहता है।
नियम सं. 6 - रेल कर्मचारी किसी ऐसी संस्था या संघ में शामिल नहीं होगा जिसके उद्देश्य देश की एकता व अखण्डता के विरूद्ध हो अथवा जिसे सरकार ने पाबन्द कर रखा हो। रेल की मान्यता प्राप्त यूनियनों के लिए यह नियम लागू नहीं होत हैं।
नियम सं. 7 - रेल कर्मचारी का प्रदर्शन, जलुस, धरना, हड़ताल इत्यादि में भाग लेना वर्जित है, यदि इनका उद्देश्य अवैधानिक हो।
नियम सं. 8 - रेल कर्मचारी का बिना प्रशासन की मंजूरी लिए प्रेस या दसरे मीडिया से सम्बन्ध रखना वर्जित है।
नियम सं. 9 - रेल कर्मचारी सरकार की आलोचना नहीं करेगा।
नियम सं. 10 - रेल कर्मचारी का बिना मंजूरी लिए किसी समिति, प्राधिकरण, कोर्ट इत्यादि के समक्ष गवाही देने पर पाबन्दी है।
नियम सं. 11 - रेल कर्मचारी अपने पद पर रहते हुए अनाधिकृत रूप से सूचनाएं प्रेस, मीडिया, जनप्रतिनिधि आदि को प्रदान नहीं करेगा।
नियम सं. 12 -रेल कर्मचारी द्वारा चन्दा मांगना, स्वीकार करना, एकत्र करना इत्यादि पर प्रतिबन्ध है।
नियम सं. 13 - रेल कर्मचारी द्वारा उपहार स्वीकार करने पर प्रतिबन्ध है। लेकिन विवाह, वर्षगांठ या अन्य सामाजिक अवसरों पर निम्नलिखित सीमा तक सूचना देकर अनुमति प्राप्त कर उपहार स्वीकार किया जा
सकता है -
(i) निकट सम्बन्धी एवं मित्र से जिनसे सरकारी सम्बन्ध नहीं हो, रेल कर्मचारी ग्रुप ‘ए’ 7000/- रुपये, ग्रुप ‘बी’ 4000/- रुपये, ग्रुप ‘सी’ 2000/- रुपये एवं ग्रुप ‘डी’ 1000/- रुपये तक स्वीकार कर सकता है।
(ii) अन्य लोगों से ग्रुप ‘ए’ 1500/- रुपये, ग्रुप ‘बी’ 1500/- रुपये, ग्रुप ‘सी’ 500/- रुपये एवं ग्रुप ‘डी’ 500/- रुपये तक स्वीकार कर सकता है।
(iii) कोई भी रेल कर्मचारी न तो दहेज देगा, न लेगा और न ही किसी को इसके लिए प्ररित करेगा अथवा प्रत्येक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसकी मांग करेगा।
नियम सं. 14 - प्रसाशन की अनुमति लिए बिना कोई भी रेल कर्मचारी अपने सम्मान में कोई सार्वजनिक प्रदर्शन, सम्मान पत्र, प्रमाण पत्र अथवा समारोह में भाग नहीं लेगा।
नियम सं. 15 - प्रशासन की स्वीकृति लिए बिना कोई भी रेल कर्मचारी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई व्यापार या कारोबार नहीं करेगा और न कोई अन्य नियुक्ति स्वीकार करेगा।
(i) रेल कर्मचारी को आवंटित सरकारी आवास को किसी अन्य व्यक्ति को दर किराएदारी, पट्टे, गिरवी इत्यादि पर नहीं देगा तथा आवश्यक होने पर समय पर आवास को खाली कर प्रशासन को सौंप देगा।
नियम सं. 16 - कोई भी रेल कर्मचारी पैसा उधार लेने देने का कार्य नहीं करेगा न ही किसी व्यापार इत्यादि में पूँजी लगाएगा।
नियम सं. 17 - कोई भी रेल कर्मचारी जो दीवालिया अथवा ऋणग्रस्तता की स्थिति में होने पर प्रशासन को सूचित करेगा।
नियम सं. 18 - प्रत्येक रेल कर्मचारी अपनी नियुक्ति पर चल अचल और बहुमूल्य सम्पति की घोषणा प्रशासन को प्रस्तुत करेगा। इनमें बढतरी होने पर समय समय पर प्रशासन को सूचित करेगा - इसमें शेयर, डिबेन्चर को भी सम्मिलित किया जाएगा।
नियम सं. 19 - कोई भी रेल कर्मचारी अपने स्वयं के लाभ के लिए गैर सरकारी या अन्य प्रभाव का उपयोग नहीं करेगा। - स्थानान्तरण, पदोन्नति एवं पसन्दगी के स्टेशन पर पदस्थापना इत्यादि।
नियम सं. 20 - (i) प्रत्येक रेल कर्मचारी नशीले पेय या औषधी इत्यादि का सेवन ड्यूटी के दौरान नहीं करेगा, न ही किसी सार्वजनिक स्थान पर इनका सेवन करेगा।
(ii) कोई भी रेल कर्मचारी 14 वर्ष से कम उम्र के बालकों को अपने यहाँ रोजगार पर नहीं रखेगा।
नियम सं. 21 - कोई भी रेल कर्मचारी विदेश में सम्पति का अर्ज न नहीं करेगा और न ही रखेगा।
नियम सं. 22 - रेल कर्मचारी सरकार द्वारा बनाए गए विवाह के नियमों की अनुपालना करेगा। जैसे - विदेशी युवती से विवाह नहीं करेगा, नाबालिग बालकों का विवाह नहीं करेगा, विवाहित महिला जिसका पति मौजूद हो उससे विवाह नहीं करेगा, कतिपय अपवादों को छोड़कर एक से अधिक पति/पत्नी नहीं रखेगा।
नियम सं. 23 - इसमें नियमों की व्याख्या करने का अधिकार राष्ट्रपति में निहित किया गया है।
नियम सं. 24 - इसके तहत नियमों में अधिकारों का प्रत्यायोजन का प्रावधान किया गया है।
नियम सं. 25 - इसके तहत नियमों को निरस्त करने का अधिकार का प्रावधान किया गया है।
नियम सं. 26 - इसके तहत सभी सम्बन्धित प्रशासनिक आदेशों के बारे में चर्चा की गई है।
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