Processes of IOD (Accident Arising out of and in the course of Employment)
1) लिया जाने वाला परिस्थितिः-
A) रोजगार के दौरान हुई दुर्घटना से घायल ( Injuries)/चोट (in the course of Employment)
B) रोजगार के सिलसिले में हुई दुर्घटना से घायल (Injuries) / चोट (Arising out of Employment)
Note:-(B) के अंतर्गत निवास स्थान से कार्य स्थल और कार्य स्थल से निवास स्थल आने जाने के समय के दौरान रास्ते में घटित दुर्घटना से घायल को भी लिया गया है।
2) घटित दुर्घटना स्थल तथा समय के साथ लॉबी / स्टेशन को लिखित सुचना देना और रिसिविंग लेना या लॉबी डायरी फस्टएड डायरी में दर्ज करते/कराते हुए डाक्टरी इलाज हेतु मेमो लेना और हॉस्पीटल इलाज करवाना।
3) डाक्टरी इलाज में IOD समावेश करने हेतु IRMM-2000 में निर्धारित परफॉर्मा पर घटित दुर्घटनास्थल, समय, कारण का उल्लेख, दो गवाहों के हस्ताक्षर के साथ संबंधित सुपरवाइजर / इंचार्ज के हस्ताक्षर और मोहर के साथ लेना।
4) संबंधित सुपरवाइजर इंचार्ज के कार्यालय से तार टेलीग्राम मैसेज की कापी लेना।
5) उपरोक्त 3 & 4 में उल्लेखित दस्तावेज इलाज फाइल में समावेश करना।
6) उपरोक्त 3 & 4 में उल्लेखित दस्तावेज इलाज फाइल में समावेश करने के बाद संबंधित डाक्टर घटित दुर्घटना का रिमार्क लिखेगा और IOD का रिमार्क देगा तथा संबंधित क्लर्क IOD का मोहर भी रहेगा। सिक & फीट दोनों प्रमाण पत्र पर IOD का मोहर रहेगा और अवधि भी उल्लेखित होगा।
7) फीट प्रमाण पत्र के बाद WRIIL मंजूरी के लिए आवेदन को HRMS में अपलोड किया जायेगा। साथ में उपरोक्त उल्लेखित सभी दस्तावेजों को भी HRMS किया जा सकता है या IOD फाइल को DRM(P) को संबंधित इंचार्ज द्वारा भेजा जायेगा।
8) इसके बाद संबंधित अधिकारी और DRM(P) के अधिकारी के संयुक्त रिमार्क और हस्ताक्षर के बाद ही IOD से संबंधित छुट्टी (WRIIL) मंजूरी होता है।
9) पहले Hospital leave के नाम से जाना जाता था। यह छुट्टी कर्मचारी वर्ग-III और IV के लिए ही प्रावधान किया गया है। The Employee's Compensation Act, 2009 (amended) के अंतर्गत स्टेशनरी पोस्ट पर कार्यरत Employees भी इसके अंतर्गत आते हैं। इस लीव में लीव सेलरी उसी प्रकार से दिया जाना है जिस प्रकार से APL में लीव सेलरी दिया जाने का प्रावधान है। यह छुट्टी कर्मचारी खाते से नहीं कटता है। यह एक प्रकार का स्पेशल लीव है। आप का शुभचिंतक AILRSA Team
Sources: (1) The Employees state insurance Act, 1948, P-27,
(2) The Employee's Compensation Act, 1923
(3).RBE No 61/2011, dt 11.5.2011,
(4) C.Rly H.Q letter, on dt 21.09 2011.
(5) RLY Medical Manual
6) The Ministery of Labour& Employment, F.No. 37012/1/2008-S.S/(Vol-II), dt 31.05 2010
(7) Book of M.K Chaturvedi, page no 622 & 23,
(8) Book of H.L Kumar, page No 9
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