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Railways Reservation Roster - अध्याय 8 : रोस्टर त्रुटियों का निवारण एवं सुधारात्मक उपाय (Rectification of Roster Errors and Corrective Measures)

 

अध्याय 8 : रोस्टर त्रुटियों का निवारण एवं सुधारात्मक उपाय

(Rectification of Roster Errors and Corrective Measures)

 

8.1 रोस्टर त्रुटि निवारण की आवश्यकता

भारतीय रेलवे में आरक्षण रोस्टर प्रणाली की जटिलता के कारण कभी-कभी अनजाने में त्रुटियाँ हो जाती हैं। यदि इन त्रुटियों का समय रहते निवारण न किया जाए, तो वे गंभीर प्रशासनिक और न्यायिक समस्याओं का रूप ले सकती हैं। इसलिए रोस्टर त्रुटियों की पहचान और उनका सुधार रेलवे प्रशासन की एक आवश्यक जिम्मेदारी है।

त्रुटि निवारण का उद्देश्य केवल गलती सुधारना नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसी त्रुटियों की पुनरावृत्ति रोकना भी होता है।

8.2 रोस्टर त्रुटि की पहचान

रोस्टर त्रुटियों की पहचान सामान्यतः नियमित निरीक्षण, आंतरिक ऑडिट, सतर्कता जांच या कर्मचारी प्रतिनिधित्व के माध्यम से होती है। कई बार किसी कर्मचारी द्वारा आपत्ति दर्ज कराने पर भी रोस्टर की जांच की जाती है।

प्रारंभिक पहचान से सुधार सरल और विवाद-रहित हो जाता है।

8.3 त्रुटि के प्रकार का निर्धारण

सुधार प्रक्रिया प्रारंभ करने से पहले यह निर्धारित करना आवश्यक होता है कि त्रुटि किस प्रकार की है। यह त्रुटि संवर्ग निर्धारण, स्वीकृत पदों की संख्या, रोस्टर बिंदु आवंटन या प्रतिस्थापन प्रक्रिया से संबंधित हो सकती है।

त्रुटि के प्रकार के अनुसार सुधार की प्रक्रिया तय की जाती है।

8.4 सक्षम प्राधिकारी की भूमिका

रोस्टर में किसी भी प्रकार का संशोधन सक्षम प्राधिकारी की अनुमति से ही किया जाता है। बिना अनुमति किए गए परिवर्तन प्रशासनिक अनियमितता की श्रेणी में आते हैं।

सक्षम प्राधिकारी यह सुनिश्चित करता है कि सुधार संविधान, रेलवे बोर्ड के निर्देशों और न्यायालयों के आदेशों के अनुरूप हो।

8.5 पूर्व प्रभाव और भविष्य प्रभाव का सिद्धांत

रोस्टर सुधार करते समय यह विचार किया जाता है कि सुधार पूर्व प्रभाव से किया जाए या भविष्य प्रभाव से। सामान्यतः सुधार को भविष्य प्रभाव से लागू किया जाता है ताकि पहले से की गई नियुक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

हालाँकि यदि त्रुटि अत्यंत गंभीर हो, तो विशेष परिस्थितियों में पूर्व प्रभाव से भी सुधार किया जा सकता है।

8.6 कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा

रोस्टर सुधार करते समय यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि किसी भी कर्मचारी के वैधानिक और सेवा-सम्बन्धी अधिकारों का उल्लंघन न हो। सुधार प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत होनी चाहिए।

इससे कर्मचारियों का प्रशासन पर विश्वास बना रहता है।

8.7 न्यायालयों के निर्देशों का पालन

यदि रोस्टर त्रुटि से संबंधित मामला न्यायालय में विचाराधीन रहा हो, तो सुधार न्यायालय के आदेशों के अनुसार ही किया जाता है। रेलवे प्रशासन के लिए न्यायालय के निर्देशों का पालन अनिवार्य होता है।

न्यायालयों ने यह भी स्पष्ट किया है कि सुधार प्रक्रिया में मनमानी नहीं होनी चाहिए।

8.8 दस्तावेज़ीकरण और रिकॉर्ड अद्यतन

रोस्टर सुधार से संबंधित सभी निर्णयों, अनुमोदनों और आदेशों का उचित दस्तावेज़ीकरण किया जाना चाहिए। सुधार के बाद रोस्टर रजिस्टर और डिजिटल रिकॉर्ड दोनों को अद्यतन किया जाना आवश्यक है।

स्पष्ट रिकॉर्ड भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में सहायक सिद्ध होता है।

8.9 भविष्य में त्रुटि रोकने के उपाय

रोस्टर त्रुटियों से बचाव के लिए प्रशासन को नियमित प्रशिक्षण, स्पष्ट दिशा-निर्देश और मानक प्रक्रियाएँ अपनानी चाहिए। कार्मिक शाखा के अधिकारियों को नवीनतम नियमों से अवगत कराना अत्यंत आवश्यक है।

इसके साथ-साथ समय-समय पर समीक्षा भी की जानी चाहिए।

8.10 सतर्कता और आंतरिक नियंत्रण

सतर्कता तंत्र और आंतरिक नियंत्रण प्रणाली रोस्टर त्रुटियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नियमित जांच से संभावित त्रुटियों की समय रहते पहचान हो जाती है।

इससे प्रशासनिक अनुशासन बना रहता है।

8.11 प्रशासनिक उत्तरदायित्व

रोस्टर में गंभीर त्रुटियों की स्थिति में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी निर्धारित की जाती है। यह उत्तरदायित्व तय करना भविष्य में लापरवाही रोकने के लिए आवश्यक होता है।

प्रशासनिक जवाबदेही से रोस्टर प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ती है।


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