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अनुकम्पा नियुक्ति की समय सीमा - Indian Railway

1) सामान्यतः: ड्यूटी करते हुए जिन कर्मचारियों की मृत्यु हो जाए या जो स्थाई तौर पर अपंग हो जाएके मामले में नियुक्ति 1 माह में कर दी जानी चाहिये और अन्य मामलो में 3 माह के अंदर। यह समय सीमा होते हुए भी नियुक्ति यथाशीघ्र करने का प्रयास किया जाना चाहिये। 

घटना के पश्चात अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति के लिए पात्रता की अवधि 5 वर्ष तक रखी गई है। जिसे महाप्रबंधक की अनुमति से 20 वर्ष बढ़ाया जा सकता है। यदि कर्मचारी की मृत्यु सेवा – काल में हो जाये, उसकी विधवा नौकरी करने की स्थिति में न हो और उसके बच्चे वयस्क न हो तो अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति का मामला तब तक रोक जा सकता है जब तक पहला बेटा /बेटी व्यस्क नही हो जाता। महाप्रबंधक अनुकम्पाके आधार पर नियुक्तियां 5 वर्ष के बाद और 20 वर्ष तक भी स्वीकृत कर सकते है – यदि निम्न शर्ते पूरी होती हो – 

1. यह शक्तियाँ महाप्रबंधक व्दारा निजी तौर पर इस्तेमाल की जाएगी और यह किसी और को प्रायोजित नही की जाएगी, 

2. मृत्यु की तिथि के बाद नियुक्ति के मामले 20 वर्ष से अधिक पुरानें न हो, 

3. स्वर्गवासी कर्मचारी की विधवा ने पुनर्विवाह न किया हो, 

4. अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति का लाभ स्वर्गीय कर्मचारी के परिवार के किसी अन्य सदस्य अथवा निकट संबंधी को कभी न दिया गया हो, 

5. मामले की परिस्थितियों के आधार पर समय बढ़ाने का औचित्य हो, 

6. समय – सीमा बढाये जाने के कारण रिकार्ड किये जाए, 

7. अनुकम्पा के आधार पर नियुक्ति का आवेदन प्रशासन व्दारा पहले बेटी/बेटे के वयस्क होने के दो वर्ष के अंदर प्राप्त हो जिसकी नियुक्ति पर विचार किया जाना चाहिये। इसके लिए अधिकतम अवधि एक वर्ष है 

(रेलवे बोर्ड सं. ई. (एन. जी.) 11 – 84/ आर.सी. 1/26 दिनांक 18.4.85, बाहरी का 112/55, दिनांक 18.4.90, बाहरी का 68/90 तथा दिनांक 7.8.91, बाहरी का 143/81, आर.बी. ई. – 114/95, दिनांक 6.10.95, 121/ 96, दिनांक 4.12.96.) 

2) संयुक्त परामर्शदात्री (विभागीय) बैठक में कर्मचारी पक्ष की मांग पर बोर्ड ने निर्णय किया है कि उपर्युक्त समय सीमा में (1) से (7) तक दी गई शर्ते पूरी होने पर महाप्रबंधक के नियुक्ति के अधिकार मंडल रेल प्रबंधक / विभागध्यक्ष / मुख्य वर्क्स मैनेजर को दिये जा सकते है। (आर. बी. ई. 300/99, दिनांक 30.11.99) 

(3) बोर्ड ने यह भी निर्णय किया है की 20 वर्ष पुराने मामलो में महाप्रबंधक इन तीन सूरतो में स्वयं निर्णय कर सकते है – 

(i) पहले पुत्र या पहली पुत्री की नियुक्ति जहाँ मेडिकल अशक्तता के पांच साल बाद प्रार्थना की गई हो, 

(ii) पहले पुत्र या पहली पुत्री के अलावा किसी की नियुक्ति जहाँ मृत्यु के पांच साल बाद प्रार्थना की गई हो,

(iii) अभ्यर्थी के वयस्क होने के दो साल बाद अर्जी दी गई हो इन मामलो में सारे तथ्यों, परिवार की आर्थिक स्थिति, आश्रितों की संख्या, परिवार के सदस्यों की आमदनी आदि की समीक्षा करके ही निर्णय किया जाएगा, जिससे इसका दुरूपयोग न हो। 

(आर.बी.ई.-144 /2000, दिनांक 28.7.2000.) 

4) (क) 20 साल पहले तक मृत्यु के मामलो में अधिकार मंडल रेल प्रबंधक /मुख्य कारखाना प्रबंधक / विभाग के अध्यक्ष को भी दिये गए है। 20 साल से पुराने मामले महाप्रबंधक की व्यक्तिगत सिफारिश के साथ रेलवे बोर्ड को भेजे जाएगे। गुमशुदा कर्मचारियों के मामलो में भी महाप्रबंधक के अधिकार मंडल रेल मैनेजर /मुख्य कारखाना मैनेजर /विभाग के अध्यक्ष को दिये गए है. (आर. बी. ई. 3/2009, दिनांक 6.1.2009) 

(ख) लापता कर्मचारियों के मामले में भी महाप्रबंधक इन शक्तियों का प्रयोग कर सकते है 

(आर. बी. ई. 126/2002, दिनांक 7.3.2001) 

(5) नियुक्ति में विलम्ब न हो इसके लिए मंडलो में वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी और मुख्यालय स्तर पर मुख्य कार्मिक अधिकारी इन मामलो को मानीटर करेगे। 

(आर.बी.ई. 126/2002, दिनांक 30.7.2002) 


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