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शास्तियां (Penalties) के प्रकार एवं विवरण

 रेल सेवक (अनुशासन एवं अपील ) नियम 1968  के नियम (6) के अनुसार उचित एवं पर्याप्त कारणों के होने पर  दण्ड दिये जा सकते है :-

दण्ड/ शास्ति ( Penalties) दो प्रकार की होती है,

लघु दण्ड/ शास्ति (Minor Penalties)

दीर्घ दण्ड/ शास्ति (Major Penalties)


(1) लघु दण्ड (Minor Penalties) :- 

i.   परिनिन्दा करना (सेंसर ) का दंड 

ii  निश्चित अवधि के लिए पदोन्नति पर रोक 

iii.  रेल सेवक की असावधानी अथवा आदेशो की अवहेलना के कारण रेल को हुई आर्थिक क्षति के सम्पूर्ण या किसी भाग की उसके वेतन से वसूली 

 अ. सुविधा पास या सुविधा टिकट आदेश या दोनों पर रोक 

 ब. तीन साल से कम  अवधि के लिए समय वेतनमान के निचले स्तर पर वेतन के बिना किसी संचती प्रभाव क\से अवनति जिसका पेंशन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े 

iv निर्धारित अवधि के लिए वार्षिक वेतन वृध्दियो पर रोक, साथ ही यह निर्देश भी  हो की अवधि के समाप्त होने पर उसका अगली वेतन  वृध्दियो पर प्रभाव पड़ेगा अथवा नही । 


(2) दीर्घ दण्ड/ शास्ति (Major Penalties)

v  एक निश्चित अवधि के लिए समय वेतनमान के किसी निचले स्तर पर वेतन में अवनति इस निर्देश के साथ कि अवधि के समाप्त होने पर उसका अगली वेतन  वृध्दियो पर प्रभाव पड़ेगा अथवा नही 

vi. शास्ति के आदेश में विनिर्दिष्ट अवधि के लिये वेतन, काल, वेतनमान में अवनति उस पद या सेवा में जिसमे वह अवनत किया गया था, जो उस रेल सेवक की ऐसी विनिर्दिष्ट अवधि के समाप्त हो जाने पर पदोन्नति पर क्या :- 

क. समय वेतनमान , ग्रेड, पद या अवनिति की अवधि, रेल सेवक की भविष्य की वेतन वृध्दियो को स्थगित करने के लिये लागू होगी और यदि ऐसा है तो किस सीमा तक और 

ख. रेल सेवक, उच्चतर समय वेतनमान, ग्रेड, पद या सेवा में अपनी मूल वरिष्ठता पुन: प्राप्त करेगा  या उसकी वरीयता और वेतन  पर क्या प्रभाव पड़ेगा (RBE 119/11 )

vii. अनिवार्य सेवानिवृति 

viii. सेवा से पदच्युति (रियुवल फ्रार्म सर्विस) जो सामान्यता भविष्य में भारत सरकार अथवा रेल प्रशासन के अधीन पुन: नौकरी पाने के लिए अयोग्यता  नहीं  मानी जायेगी 

ix. बर्खास्तगी (डिसमिसल फ्राम सर्विस) जो समान्यतय: भविष्य में भारत सरकार अथवा रेल प्रशासन के पुन: नौकरी पाने के लिए अयोग्यता  मानी जायेगी 

नोट:- (1) यदि किसी रेल सेवक के व्दारा ऐसा कोई कार्य किया जाता है अथवा कोई कार्य करने  में अवहेलना की जाती है जिसके फलस्वरूप रेलगाड़ियो की टक्कर हो गयी हो या होने की सम्भावना रही हो तो उसे "पदच्युति" (मद संख्या viii) अथवा बर्खास्तगी  (मद संख्या ix ) में से कोई एक सजा अवश्य दी जायेगी अगर यदि इन दोनों में से कोई सजा नही दी गई है तो ऐसा करने के कारणों का उल्लेख किया जाना  आवश्यक होगा 

यदि कोई रेल सेवक केवल खतरे के संकेत (डेंजर सिग्नल) की अवहेलना करता है तो उसे नियम (6) के उपनियम (v) से (ix) अर्थात क्रमश: वेतनमान के निचले स्तर पर वेतन की अवनति, निचले वेतनमान में अवनति, अनिवार्य सेवानिवृति, पदच्युति अथवा बर्खास्तगी में से कोई सजा दी जायेगी और यदि उनमे से कोई सजा नही दी गयी हो तो ऐसा करने के कारणों का उल्लेख करना होगा। 

(2) साथ ही यदि कोई रेल सेवक अपनी आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक सम्पति रखने का दोषी पाया जाये या अपने सरकारी पद के कारा किये गये किसी कार्य के बदले विधि सम्मत पारिश्रमिक के अलावा अन्य कोई धनराशि प्राप्त करने का दोषी पाया जाता है तो उसे उपनियम (viii) या उपनियम (ix) के अंतर्गत कोई दण्ड दिया जायेगा और यदि इन दोनों में से कोई दण्ड न दिया गया हो तो ऐसा करने के कारणों का उल्लेख करना होगा (RBE 215/01)

(3) छठे केन्द्रीय वेतन आयोग की सिफ़ारिशो को स्वीकार किये जाने के बाद संशोधित वेतन नियमो के अंतर्गत सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए 01 जुलाई को वेतनवृध्दी की तारिख के रूप में निर्धारित करना केवल वार्षिक वृध्दि के लिए संगत है।  यह प्रावधान, उन मामलो में जहाँ शास्ति के रूप में वेतनवृध्दि पर रोक लगाई जाती है पर लागू नही होता है ऐसे मामलो में, जहाँ एक निश्चित समय समाप्त होने के तत्काल पश्चात बहाल कर दिया जायेगा और इसे अगली 01 जुलाई तक स्थगित नही किया जायेगा यदि शास्ति की अवधि समाप्त होने के बाद आगे आने वाली 01 जुलाई तक संबंधित रेल सेवक ने छ: माह की निर्धारित अर्हक सेवा अर्जित कर ली है तो वह शास्ति की अवधि समाप्त होने के बाद आगे आने वाली इस 01 जुलाई को अगली वेतन वृध्दि पाने का हकदार भी होगा (इस तथ्य के बावजूद भी कि उस पर लगाई गई शास्ति का उसकी भावी वेतन वृध्दियो पर स्थाग्नात्मक प्रभाव था) 

4. जहाँ निचले स्तर पर अवनति की शास्ति लगाई गई हो, वहां शस्ति की अवधि के समाप्त होने पर तत्काल वेतन को बहाल किया जायेगा जहाँ तक अगली वेतन वृध्दि जारी करने का सम्बन्ध है, वह भी शस्ति की अवधि की समाप्ति के शीघ्र पश्चात प्रदान कर दी जायेगी, यदि सम्बन्धित व्यक्ति ने शास्ति की अवधि समाप्त होने की तारीख से पूर्व 01 जुलाई को छ: माह की निर्धारित अर्हक सेवा पूरी कर ली है 


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