1. यदि किसी रेलवे कर्मचारी को किसी अन्य सेवा, श्रेणी या पद पर प्रोबेशन पर नियुक्ति की गयी हो परन्तु बाद में उसे परिवीक्षा (प्रोबेशन) की अवधि के दौरान अथवा उसकी समाप्ति पर, उसकी सेवा शर्तो के अनुसार, से उसके मूल पद, श्रेणी अथवा वेतन पर पदावनत कर दिया गया हो ।
2. यदि किसी कर्मचारी की उसके मामले पर विचार करते हुए किसी मूल अथवा स्थानापन्न पद पर पदोन्नति के लिए अयोग्य पाये जाने के कारण पदोन्नति न दी गयी हो
3. चयनित हो जाने या उपयुक्त पाये जाने पर भी प्रशासनिक कारणों से पदोन्नति में विलम्ब होने पर।
4. यदि किसी रेल सेवक को उच्च सेवा, श्रेणी या पद स्थानापन्न रूप से पदोन्नति दी गयी हो, परन्तु बाद में उसे उस पर बने रहने के अयोग्य पाया गया हो जिसके कारण उसे, बिना उसके आचरण को लांच्छित किये हुए , पदावन्न्त किया गया हो।
5. यदि किसी कर्मचारी की वार्षिक वेतन वृध्दि पर रोक, सेवाशर्तो के अनुसार निर्धारित विभागीय परीक्षा पास न करने के कारण लगायी गयी हो
6. यदि प्रतिनियुक्ति पर लिए गये किसी रेल कर्मचारी को केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार अथवा उनके अधीनस्थ किसी विभाग के व्दारा उसके मूल विभाग में वापस लौटा दिया जाने पर
7. अधिवार्षिकता (सुपर एन्युयेशन ) अथवा सेवानिवृत्ति की निर्धारित शर्तो के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति से दी गई हो ।
8. दिए गए विशेष कारणों से की गयी सेवामुक्ति (टर्मिनेशन ) को दण्ड नही माना जायेगा :-
अ. परिवीक्षा अवधि के दौरान अथवा उसके समापन पर परिवीक्षा से सम्बन्धित नियमो अथवा निर्देशों के तहत की गयी सेवा समाप्ति
ब. रेल सेवा संहिता के जिल्द के नियम 149 के अनुसार किसी अस्थायी रेल सेवक की सेवा समाप्ति
स. किसी करारनामे की शर्तो के तहत की गयी सेवा समाप्ति
9. निम्नलिखित दशाओ में की गई पदमुक्ति (डिस्चार्ज ) को दण्ड नही माना जायेगा
अ. शारीरिक उपयुक्तता के वांछित स्तर के अनुसार न अपनाये जाने पर
ब. कर्मचारियों की संख्या में कटौती किये जाने पर
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