ग्रूप 'सी' और 'डी' कर्मचारियों के लिए 9 प्रशिक्षण केन्द्रों के फैकल्टी सदस्यों को प्रशिक्षण भत्ता के रूप में मौद्रिक प्रोत्साहन देना। RBE No.24/2015
1. डिसीप्लीनरी ट्रेनिंग केन्द्र, पालघाट
2. मल्टी डिसीप्लीनरी ट्रेनिंग केन्द्र, रंगिया
3. मल्टी डिसीप्लीनरी ट्रेनिंग केन्द्र, विशाखापत्तनम
4. मल्टी डिसीप्लीनरी ट्रेनिंग केन्द्र, धारवाड़
5. रै. सु. ब. प्रशिक्षण केन्द्र, कांचरापाड़ा
6. डीजल प्रशिक्षण केन्द्र, झांसी
7, वेल्डिंग प्रशिक्षण केन्द्र, भोपाल
8. रे, सु. ब. प्रशिक्षण केन्द्र, नासिक
9. भू-तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र, लखनऊ
1. प्रशिक्षण केन्द्र के प्रधान, प्रशिक्षण भत्ता दिए जाने के लिए तभी पात्र होंगे जब वह पूर्णकालिक आधार पर उस पद पर हों और चयन नीचे पैरा 3(छ) में दिए गए ब्यौरे के अनुसार किया गया हो।
2. इन प्रशिक्षण केन्द्रों के प्रधानाचार्य प्रशिक्षण पर समुचित ध्यान दे सकें और समुचित पर्यवैक्षण कर सकें, इस दृष्टि से यह आवश्यक है कि इन प्रधानाचार्यों को पूर्णकालिक आधार पर तैनात किया जाना चाहिए और उनका कार्यकाल प्रशिक्षण केन्द्र में ही होना चाहिए।
3. 15% प्रशिक्षण भत्ता प्रदान करने की अनुमति देते समय निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए:
क. राजपत्रित और अराजपत्रित दोनों फैकल्टी सदस्य, जिन्हें फील्ड से लिया जाता है और जिनकी इयूटी प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण/शिक्षण देना है, उन्हें संशोधित वेतनमान मेँ मूल वेतन के 15% की दर से 'प्रशिक्षण भत्ता' दिया जाए।
ख. ऊपर पैरा (क) में यथा उल्लिखित प्रशिक्षण भत्ता प्रदान करने के परिणामस्वरूप, इन प्रशिक्षण केन्द्रों में तैनात किए गए फैकल्टी सदस्यों के लिए मौजूदा प्रशिक्षण अत्ता, यदि कोई हो, विशेष वेतन, प्रतिनियुक्ति वेतन और उन पर देय भत्ता स्वीकार्य नहीं होगा।
ग. फैकल्टी का अर्थ है सरकार का वह "कर्मचारी" जो फैकल्टी सदस्य के रूप में सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से किसी प्रशिक्षण संस्थान में नियुक्त होते हैं और जिसका कार्य प्रशिक्षण/शिक्षण देना होता है। इसमें इन प्रशिक्षण संस्थानों के प्रधानाचार्य भी शामिल होंगे। बहरहाल्र, सीधे और विशिष्ट रूप से प्रशिक्षण संस्थानों के लिए नियुक्त फैकल्टी सदस्य यह 'प्रशिक्षण भत्ता' पाने के लिए पात्र नहीं हैं।
घ. ऐसे कर्मचारी, चाहे उन्हें फील्ड से लिया गया हो अथवा स्थानांतरित किया गया हो अथवा स्थानीय तौर पर भर्ती किया गया हो, जो प्रशिक्षण/शिक्षण देने में प्रत्यक्ष रूप से नियुक्त नहीं किए गए हैं, 'प्रशिक्षण भत्ता' पाने के लिए पात्र नहीं होंगे।
ड.. फैकल्टी सदस्यों को बिना किसी अधिकतम सीमा के प्रशिक्षण अत्ता देय होगा और यह एफआर(9)(21)2003)(21)-आर-॥ में यथा परिभाषित वेतन का भाग स्पष्ट किया गया है, वह वेतन का हिस्सा नहीं होगा, परन्तु इसके बावजूद उसकी छुट्टी वेतन के लिए गणना की जाएगी।
च. फैकल्टी सदस्यों का कार्यकाल किसी भी मामले और किसी भी परिस्थिति में आठ वर्ष से अधिक नहीं होगी।
छ. प्रत्येक अलग-अलग मामले में भत्ते की स्वीकार्यता की जांच बोर्ड के दिनांक 29.6.2001 के पत्र सं. ई(एमपीपी)2001/19/3, रिकंमन्डेशन मं, 37 (आरबीई सं. 127/2001) के अनुसार गठित की गई समुचित स्तर की एक समिति दूवारा की जाएगी। ये समितियां इस प्रकार की नियुक्तियों के लिए उत्कृष्ट प्रशिक्षकों को प्राप्त करने के लिए कठोर चयन प्रक्रिया अपनाएंगी। इस प्रकार के चयन के दिशा-निर्देशों में न केवल उत्कृष्ट सेवा रिकॉर्ड का, बल्कि उस कार्य के लिए बेहतर प्रशिक्षण क्षमता और अभिरूचि का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में भाग लिए होन, पदाधिकारियों द्वारा अपने विभिन्न कार्यों में अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को अपेक्षित प्रशिक्षण देने में ली गई रूचि की उत्सुकता और प्रशिक्षण से संबंधित पदों पर उन्हें निर्दिष्ट किए गए पूर्व कार्य, यदि कोई हो, में उनके कार्य-निष्पादन को भी ध्यान में रखना चाहिए। इन अनुदेश को बोर्ड के दिनांक 11.03.2003 के पत्र सं. ई(एमपीपी)99/19/1पार्ट (आरबीई सं. 49/2003) के साथ पढ़ा जाए। प्रशिक्षण केन्द्र/संस्थान और प्रशिक्षकों को यह भता स्वीकृत करने से पूर्व उन्हें सुनिश्चित किया जाना चाहिए वै उपर्युक्त दिशा-निर्देशों को अवश्य पूरा करें। जिन प्रशिक्षकों के बारे में समिति द्वारा संस्तुति नहीं की गई हो, उन्हें संबंधित मूत्र संवर्ग में वापस भेज दिया जाना चाहिए। तदर्थ आधार पर नियुक्त व्यक्तियों को यह प्रशिक्षण भत्ता तब तक नहीं दिया जाएगा, जब तक उन्हें नियमित नहीं कर दिया जाता है।
4. ये आदेश इस पत्र के जारी होने की तारीख से प्रभावी होंगे।
5. यह स्पष्ट किया जाता है कि जब तक स्क्रीनिंग नहीं कर ली जाती और योग्य न पाए गए फैकल्टी सदस्यों को उनके संबंधित मूल संवर्ग में वापस भेज नहीं दिया जाता, तब तक उन व्यक्तियों जिन्होंने फैकल्टी सदस्य के रूप में कार्य किया है, को उन्हें वापस भेजे जाने तक प्रशिक्षण भत्ता दिया जाए।
6. यह भी स्पष्ट किया जाता है कि बोर्ड के पूर्व अनुमति के बिना रेलवे के पास कोई प्रशिक्षण संस्थान/केनद्र चालू करने का कोई प्राधिकार नहीं है।
7. इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त है और रेल मंत्रालय के वित्त निदेशालय की सहमति से जारी किया जाता है।
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