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अनुशासन एवं अपील नियम - निलंबन (VIDEO)


General Rule of Suspension (निलम्बन के सामान्य नियम)

 निलम्बन


निलम्बन हमेशा  ड्यूटी या काम से होता है, कर्मचारी उसी पद पर नौकरी में तो रहता है परन्तु उसे काम करने या काम करने की जगह पर रहने की इजाजत नही होती है। यह दण्ड नही है एक प्रशासनिक कार्यवाही है। यह निम्न परिस्थितियों में किया जाता है-

  • जब कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की संभावना हो या बड़ी शास्ति की कार्यवाही चल रही हो।
  • जब कर्मचारी ऐसे कार्य कलापों मे लिप्त हो, जिससे दष की सुरक्षा को खतर हों।
  • जब किसी फौजदारी मामले मे कर्मचारी के खिलाफ कोई कस, छान-बीन, जांच या मुकदमें चल रहे हा।

निम्न परिस्थितियों म  निलम्बन समझा जायेगा

  • यदि कर्मचारी 48 घण्टे से ज्यादा पुलिस हिरासत में रहा हो, तो हिरासत मे रखने की तारीख से।
  • जब कोई न्यायालय, कर्मचारी को पदच्युत करने, पद से हटाने या अनिवार्य रूप से 
  • सेवामुक्ति के दण्ड को अमान्य कर दे और जब अनुशासनिक अधिकारी आगे और जांच करने का निर्णय कर तो कर्मचारी को दिये गये दण्ड के आदेश की तारीख से निलम्बित समझा जायेगा या कर्मचारी की दण्ड के विरूद्ध अपील पर दबारा से जाँच के आदेश दिये गये हो तब भी दण्ड के आदेष की तारीख से निलम्बित समझा जायेगा।
  • जब कोई न्यायालय, कर्मचारी को पदच्युत करने, पद से हटाने या अनिवार्य रूप से सेवामुक्ति के दण्ड केा अमान्य कर दे और अब अनुषासनिक अधिकारी आगे और जांच करने का निर्णय कर  तो कर्मचारी के दिये गये दण्ड के आदेश की तारीख से कर्मचारी को निलम्बित समझा जायेगा या कर्मचारी की दण्ड के विरूद्ध अपील पर दण्ड अमान्य हो जायेगा तब भी दण्ड के आदेश की तारीख से निलम्बित समझा जायेगा।
  • कनिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीयों को ग्रुप ‘सी’ एवं ‘डी’ के कर्मचारियों को निलम्बित करने का अधिकार है।
  • ग्रुप ‘बी’ अधिकारी उन ग्रुप ‘सी’ एवं ‘डी’ को निलम्बित कर सकता है जिनका वेतनमान 1800 रू या इससे कम हो।
  • स्वतन्त्र चार्ज रखने वाले ग्रुप ‘बी’ अधिकारी वेतन बैण्ड 9300-34800 व ग्रेड पे 4200 तक के कर्मचारियेां को निलम्बित कर सकते है।
निलम्बन के दौरान मिलन वाले भत्ते -

इस अवधि के दौरान कर्मचारी 50ः वेतन निर्वाह भत्ते के रूप में तथा उस पर मंहगाई भत्ता प्राप्त करेगा। यदि 3 माह से अधिक की अवधि है तो अधिकारी की सन्तष्टि कि निलम्बन रहना आवष्यक है तो उसमें वृद्धि की जा सकती है,परन्त वह पूरे में मिल रहे भत्ते  की 50ः से अधिक नहीं होगी। अतः वेतन के 75ः से अधिक नहीं।

यदि निलम्बन की अवधि कर्मचारी के उत्तरदायित्व के कारणों से बनती है तो उसके निर्वाह भत्ते को कम करके वेतन का 25ः तक किया जा सकता है। अन्य भते पूरे मिलत  रहेंगे।

परन्तु कर्मचारी को निर्वाह भता तभी दय होगा जब कर्मचारी यह लिखित प्रमाणपत्र प्रस्तुत करे कि वह इस दौरान अन्य रोजगार, व्यापार या धन्धा नहीं कर रहा है।

निर्वाह भते से कटौतियां 

  • रेलवे मकान किराया,
  • विद्युत, पानी, सफाई एवं सेश प्रभार,
  • आहार शुल्क,
  • ठका प्रणाली के अनुसार डाॅक्टर का शुल्क,
  • सरकार से लिए गए ऋण एवं अग्रिम की वसूली,
  • आयकर,
  • स्टेशन डेबिट, स्टोर डेबिट एवं कारखाना डेबिट,
  • सरकार को पहुंचायी गयी क्षति, यदि उसे स्थगित नहीं किया गया हो तो, 

कर्मचारी की लिखित प्रार्थना पर कटौतियां

  • सहकारी समितियों की देयता,
  • इंस्टीटयूट तथा क्लब का सदस्यता शुल्क,
  • जीवन बीमा की किश्त,
  • स्कल शुल्क,
  • भविष्य निधि से लिया गया अग्रिम या एस.बी.एफ. से लिए गए अग्रिम की वापसी निर्वाह भत्ते में स  नही की जाने वाली कटौतियां
  • भविष्य निधि मं अशदान,
  • कोर्ट अटैचमेंट तथा किए गए जर्मान की कटौती,
  • निलम्बन 6 माह से अधिक नहीं होना चाहिये। निलम्बन के दौरान कर्मचारी सक्षम अधिकारी से अनमति लिये बिना अपना मुख्यालय नहीं छोड़ सकता। इस दौरान कर्मचारी की रोजाना हाजरी लेने का कोई प्रावधान नही है।
  • सामान्य रूप से इस दौरान इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जायेगा लेकिन यदि नतिक अधमता का मामला नहीं है तो सक्षम अधिकारी स्वीकार कर सकता है।

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