नियुक्ति प्राधिकारी (Appointing Authority)
(i) रेल सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियम के नियम 20) (क) में नियुक्ति प्राधिकारी को नीचे लिखे अनुसार परिभाषित किया गया है:-
(क) उस सेवा, जिसमें रेल कर्मचारी उस समय सदस्य है अधिकृत अथवा सेवा के उस ग्रेड जिसमें रेल कर्मचारी उस समय शामिल है, में नियुक्ति करने के लिए अधिकृत प्राधिकारी या
(ख) उस पद पर नियुक्ति करने के लिए अधिकृत प्राधिकारी, जिस पद पर रेल कर्मचारी उस समय आसीन है, या
(घ) ऐसी कोई अन्य सेवा जिसमें रेल कर्मचारी स्थायी सदस्य है और बाद में रेल मंत्रालय के अधीन निरंतर सेवा करते हुए किसी अन्य स्थायी पद पर है तो उसे सेवा, मेड अथवा सेवा के पद पर उसे नियुक्त करने वाला प्राधिकारी, जो भी प्राधिकारी उच्चतम हो.
(ii) नियम 2(i) (क) के विभिन्न खंडों में बिनिर्दिष्ट प्राधिकारियों का निर्धारण करने के प्रयोजन से प्राधिकारी को रेल कर्मचारी के पद अथवा गेड तक ही सीमित रहना चाहिए और यथास्थिति खंड (क) अथवा (ख) का उपयोग करना चाहिए.
नियम 2(i) (क) का समय आशय और प्रयोजन भारत के संविधान के अनुच्छेद 311(i) के उल्लंधन से बचना और यह सुनिश्चित करना है कि किसी कर्मचारी के विरूद्ध कार्रवाई करने वाला या तो उस श्रेणी के कर्मचारी को नियुक्त करने वाला सक्षम प्राधिकारी हो या वह प्राधिकारी जिसने वास्तव में उसे नियुक्त किया है, जो भी रैंक में उच्चतर हो.
यह आवश्यक नहीं है कि महाप्रबंधक किसी निम्नतर प्राधिकारियों द्वारा नियुक्त किए गए समूह 'ग' और 'घ' कर्मचारियों को सेवा से बरखास्त करें /हटाए.
(दक्षिण मध्य रेलवे बनाम शेखर कादर मस्तान और नूकाराजा के मामले में उच्चतम न्यायालय के दिनांक 10.4.80 के निर्णय पर आधारित रेलवे बोर्ड का दिनांक 7.5.90 का पत्र सं. ई (डी एंड ए) 88 आर जी 6-12)
No comments:
Post a Comment