प्रति नियुक्त रेल कर्मचारी (दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया) पर अनुशासनिक कार्यवाही (नियम - 15 )
वे कर्मचारी जो मूलत: रेल कर्मचारी है परन्तु उन्हें दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया हो अर्थात रेल से बाहरी विभाग में जाने वाले कर्मचारी, और
1.यदि किसी रेल सेवक को केंद्र सरकार के अधीनस्थ किसी अन्य मंत्रालय के अंतर्गत किसी विभाग में अथवा राज्य सरकार या उसके अधीनस्थ किसी विभाग में या किसी स्थानीय अन्य विभाग के प्राधिकारी (जिसे उधारलेवा प्राधिकारी या "बारोइंग अथॉरिटी कहा जाता है) के अधीन उधार स्वरूप भेजा गया है तो उसे रेल सेवक को निलंबित करने तथा अनुशासनिक जाँच संबंधी कार्यवाही अनुशासनिक प्राधिकारी के अधिकार उधारलेवा प्राधिकारी के पास होंगे। (नियम - 15)
NOTE - ऐसी कोई अनुशासनिक प्रक्रिया प्रारम्भ करने के तुरंत बाद उधारलेवा प्राधिकारी उधार देने वाले (उधार प्राधिकारी) (लेंडिंग अथॉरिटी) को उन कारणों एवं परिस्थितियों की सूचना भेजेगा, जिनके कारण निलम्बन करना पड़ा हो और अनुशासनिक जाँच प्रक्रिया करनी पड़ी हो।
2. रेल सेवक के विरुध्द चलायी गयी अनुशासनिक जाँच
प्रक्रिया के निष्कर्ष के आलोक में:-
i.
यदि उधार लेवा प्राधिकारी इस निष्कर्ष पर
पहुंचते है कि नियम - 6 के उप वाक्य (i) से (iv) के अंतर्गत आने वाली कोई लघु शास्ति देना
उपयुक्त होगा तो वह उधारदाता
प्राधिकारी की सहमति लेकर यथोपयुक्त सजा दे सकेगा।
नोट - यदि इस संबंध में
उधारलेवा और उधारदाता प्राधिकारियों के विचारो में अंतर होगा तो उस रेल सेवक की
उधारदाता प्राधिकारी के पास लौटा दिया जायेगा।
ii.
यदि उधारलेवा अधिकारी का यह विचार है कि नियम - 6 के उपवाक्य (v) से (ix) के अंतर्गत आने वाली कोई
(दीर्घ) शास्ति दी जानी चाहिये तो उस रेल सेवक की सेवाये उधारदाता प्राधिकारी के
पास पूरी जाँच कार्यवाही के साथ अपने स्तर से निष्पादन के लिये लौटा दी जायेगी। जिस
पर विचार करते हुए उधारदाता प्राधिकारी यदि कोई शास्ति देना चाहता है , जो उसके अधिकारी में है, तो वह ऐसी शास्ति दे सकता
है और यदि विचारित शास्ति उसके अधिकार क्षेत्र में न हो तो पूरी कार्यवाही रिपोर्ट
का सक्षम प्राधिकारी के पास उपयुक्त आदेश पारित करने के लिये भेज देगा ।
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