सतर्कता
संगठन और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003
सतर्कता का तात्पर्य सतर्क या सतर्क रहने की स्थिति से है। सतर्कता विभाग का मुख्य कार्य निवारक सतर्कता और भ्रष्टाचार रोकने के उपाय करना और प्राधिकरण के कर्मचारियों के खिलाफ सतर्कता दृष्टिकोण (जैसा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा परिभाषित) वाली शिकायतों/ आरोपों की जांच करना है। मुख्य सतर्कता आयोग, लोक सेवकों के खिलाफ उन शिकायतों की जांच करेगा या जांच कराएगा जिनमें भ्रष्टाचार के आरोप शामिल हैं।
भारत
सरकार द्वारा सतर्कता संगठन और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम 2003,
सतर्कता के मामले में प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से
पारित किया गया था। यह अधिनियम,
भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है.
यह अधिनियम 12 सितम्बर 2003 को पारित हुआ था और 21 दिसम्बर 2006 को अमल में लाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी
संगठनों में सतर्कता और भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी प्रणाली स्थापित करना है।
इस
अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार ने
केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों के लिए एक
सतर्कता विभाग
की स्थापना की गई . जिसका
कार्य सरकारी संगठनों में भ्रष्टाचार और अनैतिकता के मामलों की जाँच और निगरानी करना है।
इस
अधिनियम के माध्यम से, भ्रष्टाचार
और अनैतिकता के खिलाफ उच्च स्तर की सतर्कता बनाए रखने का प्रयास किया जाता है ताकि
सरकारी संगठनों में न्याय और ईमानदारी की भावना बनी रहे।
केंद्रीय सतर्कता आयोग भी इस अधिनियम के अंतर्गत
कार्य करता है और यह सतर्कता संगठनों की जाँच और अनुसन्धान का कार्य करता है। आयोग
के अध्यक्ष को भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है और आयोग के अधिकारियों का
कार्यक्षेत्र पूरे देश में होता है।
इस
अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण बाते -
1. केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance
Commission, CVC): इस आयोग का कार्य
सतर्कता संगठनों की जाँच और निगरानी का सुनिश्चित करना है। यह आयोग सरकारी संगठनों
में भ्रष्टाचार की रिपोर्टों को सुनिश्चित करता है और उच्च स्तरीय अधिकारियों की
निगरानी करता है।
2. सतर्कता आयुक्त (Vigilance Commissioner): अधिनियम द्वारा सतर्कता संगठन के नेता को सतर्कता आयुक्त कहा जाता है, जो संगठन की सुपरविजन और निगरानी के लिए जिम्मेदार होता है।
3.
सतर्कता संगठन (Vigilance Commission): इस अधिनियम के अनुसार, सरकारी संगठनों में सतर्कता संगठन (Vigilance
Commission) बनाए जाने की आवश्यकता
होती है। यह संगठन भ्रष्टाचार और अनैतिकता के मामलों की जाँच और निगरानी करता है।
4.
जांच और शिकायत: यह
अधिनियम भ्रष्टाचार और अनैतिकता के मामलों की जांच के लिए विशेष प्रक्रियाएं
स्थापित करता है और इसका मुख्य उद्देश्य सजागता बढ़ाना और सरकारी विभागों को इस
प्रकार के आचरण से बचाव करने के लिए प्रेरित करना है।
5.
भ्रष्टाचार की जांच और निगरानी (Inquiry
and Surveillance): सतर्कता संगठन और
केंद्रीय सतर्कता आयोग को भ्रष्टाचार की जांच और निगरानी करने के लिए विशेष अधिकार
हैं।
6.
शिकायत प्रक्रिया (Complaints Procedure): अधिनियम द्वारा एक साधारित शिकायत प्रक्रिया स्थापित की गई
है,
जिसका उपयोग भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने के लिए किया
जा सकता है।
7.
सतर्कता की रिपोर्टें: इस अधिनियम के तहत, सतर्कता संगठन रिपोर्टें तैयार करता है और उन्हें केंद्रीय
सतर्कता आयोग को सौंपता है।
8.
शिकायत दर्ज करने का अधिकार: इस अधिनियम के तहत, कर्मचारियों को भ्रष्टाचार और दुर्घटना की शिकायत करने का अधिकार
है और ऐसी शिकायतों का समय-बयान देने का अधिकार भी है।
9. सतर्कता संगठन द्वारा भ्रष्टाचार की जानकारी देने वाले व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान किया जाना: इस अधिनियम के तहत, भ्रष्टाचार या दुर्घटना की जानकारी देने वाले व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान की जाती है, ताकि वह बिना डर खुले मन से भ्रष्टाचार की जानकारी दे सकें।
10.
शिकायतों की सुनवाई: इस अधिनियम के तहत, सतर्कता संगठन को भ्रष्टाचार या अनैतिकता के मामलों के
खिलाफ शिकायतें सुनने और उन पर कार्रवाई करने का अधिकार होता है।
11.
दंड (Penalties):
अधिनियम द्वारा भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कठोर दंड
प्रावधान किए गए हैं, जिससे
भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास किया जा सकता है।
भारतीय
रेलवे में प्रत्येक
जोनल रेलवे पर सीनियर डिप्टी महा
प्रबंधक के नियंत्रण में एक
सतर्कता विभाग
की स्थापना की गई है।
सतर्कता
विभाग के प्रमुख कार्यों में
निम्नलिखित शामिल हैं: -
1. निवारक सतर्कता
2. दंडात्मक सतर्कता
3. प्रणाली और प्रक्रिया में सुधार
4. सीवीसी, रेलवे बोर्ड सतर्कता, सीबीआई और अन्य एजेंसियों के
साथ समन्वय
5. कर्मचारियों के लिए सतर्कता
किल्यरेंस की मंजूरी
6. सतर्कता जागरूकता प्रशिक्षण और कार्यक्रम
सीवीसी अधिनियम, 2003 के आदेश के
तहत आयोग
संबंधित संगठन के मुख्य सतर्कता अधिकारी या सीबीआई या भारत सरकार के तहत किसी अन्य
भ्रष्टाचार विरोधी जांच एजेंसी के माध्यम से भ्रष्टाचार के आरोप
के जांच करा
सकता है।
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