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D & A Rule के अंतर्गत आदेश जिनके विरुध्द अपील कर सकते है या नही कर सकते है

अनुशासन एवं अपील नियम के अंतर्गत आदेश जिनके विरुद्ध अपील कर सकते है या नही कर सकते है 


अनुशासन एवं अपील नियम के अंतर्गत आदेश जिनके विरुद्ध अपील नही कर सकते है - 


इन नियमो में वर्णित किन्ही प्रावधानों पर ध्यान न देते हुए निम्नलिखित के विरुद्ध कोई अपील नही की जा सकेगी :- 

i. राष्ट्रपति के व्दारा पारित आदेश, 

ii अनुशासनिक जाँच कार्यवाही के दौरान जाँच अधिकारी के व्दारा पारित अंतरिम आदेश जिनका उद्देश्य सहायता पहुंचना अथवा जाँच प्रक्रिया के अंतिम निष्पादन को सुगम बनाना हो, परन्तु इनमे निलम्बन का आदेश शामिल नही होगा 

iii. नियम - 9 के अंतर्गत की जा रही अनुशासनिक जाँच अधिकारी व्दारा पारित आदेश

अनुशासन एवं अपील नियम के अंतर्गत आदेश जिनके विरुद्ध अपील कर सकते है - 


नियम - 17 के अध्याधीन कोई भी रेल सेवक निम्नलिखित में से सभी या किसी आदेश के विरुद्ध अपील कर सकता है , जैसे :-


i नियम - 5 के अंतर्गत किये गये या मान लिये गये (डिम्ड) निलम्बन आदेश

ii. अनुशासनिक अथवा अपीलीय अथवा पुनर्परीक्षक (रिवाइजिंग) प्राधिकारी के व्दारा नियम - 6 के अंतर्गत दी गयी किसी सजा से संबंधित आदेश

iii. नियम - 6 के अंतर्गत बढाई गयी किसी सजा से संबंधित आदेश

iv. कोई ऐसा आदेश जो :-

अ. किसी रेल सेवक को उस पर लागू होने वाले नियमो या करारनामो के तहत देय वेतन, भत्तो, पेंशन, भविष्य निधि, सर्विस ग्रेच्युटी अथवा अन्य संबंधित लाभों को देने से इन्कार करता हो या उनमे अंतर लाता हो, 

ब. कर्मचारी पर लागू होने वाले नियमों या कारनामों की कर्मचारी के हितों के विरुद्ध व्याख्या करता हो

v ऐसा कोई आदेश जो:-

अ. उसे सजा के बजाय अन्य किन्ही कारणों से उच्चतर सेवा, ग्रेड या पोस्ट पद से पदावनति करता हो

ब. पेंनशन धारी रेल सेवक की पेंशन को कम करता है हो, रोकता हो या नियमो के अनुसार देय अधिकतम पेंशन को देने से नकारता हो

स. गैर पेंशनधारी रेल सेवक की भविष्य निधि पर विशेष अंशदान को घटाता हो अथवा उसे रोकता हो

द. उसके निलम्बन अवधि अथवा मान लिये गये निलम्बन की अवधि या उसके किसी भाग में देय जीवनयापद भत्ते या अन्य लाभों को निर्धारित करता हो

प. कर्मचारी को निम्नलिखित दशाओ में देय वेतन और भत्तो को निर्धारित करता हो :-

i. निलम्बन की अवधि में

ii. बर्खास्तगी, पदच्युति अथवा अनिवार्यत: सेवानिवृति के पश्चात पुनर्पदस्थापित (रीइंस्टेट ) होने के बीच की अवधि में

iii. इस बात को निर्धारित करता हो कि उसकी निलम्बन अथवा बर्खास्तगी, पदच्युति अथवा अनिवार्य सेवानिवृति की तिथि से लेकर उसकी पुनर्पस्थापना की तिथि तक की अवधि को किसी उदेश्य के लिए ड्यूटी माना जाये अथवा नही

अपीलीय प्राधिकारी

(1) कोई रेल सेवक, जिसमे ऐसा व्यक्ति भी सम्मिलित है जिसमे रेल सेवा छोड़ दी है, नियम - 18 के अंतर्गत वर्णित अभी या किसी आदेश के विरुध्द इन नियमो के अंतर्गत उस उदेश्य के लिए बनाये गये प्राधिकारी के सक्षम अपील प्रस्तुत कर सकता है यदि नियमो के अंतर्गत कोई प्राधिकारी नही बनाया गया हो तो :-

i. जहाँ नियम - 25 के अंतर्गत रिवीजन करने वाले प्राधिकारी के व्दारा कोई दण्ड दिया जाता है तो उस प्राधिकारी के पास जिसका वह आसन्न सहायक (इमिडियेट सबऑर्डिनेट) हो,

ii. जहाँ अपील अथवा रिवीजन में सजा बढाई गयी हो तो उस प्राधिकारी के पास जिनके अधीन ऐसा आदेश देने वाला प्राधिकारी कार्यरत हो,

iii. यदि अपील नियम - 18 के उपवाक्य (iv) के अंतर्गत आने वाले किसी दण्ड के विरुद्ध करनी हो तो उस प्राधिकारी , जिसने अपीलकर्ता को नियुक्त किया हो या उस प्राधिकारी जिसने उस दण्ड, जिसके विरुद्ध अपील की जानी हो , को दिया हो, दोनों में जो वरिष्ठ हो, के पास की जायेगी यदि अपील किसी करारनामे से संबंधित हो तो उस प्राधिकारी के पास अपील की जायेगी जिसने अपीलकर्ता को नियुक्त किया हो

iv. नियम - 18 के उपवाक्य (5) के अंतर्गत आने वाले किसी दण्ड के विरुध्द अपील निम्नलिखित पदाधिकारी के पास की जायेगी :-

अ. यदि किसी रेल सेवक की बर्खास्तगी की सजा राष्ट्रपति व्दारा दी जा सकती है तो राष्ट्रपति के पास, और

ब. किसी अन्य रेलवे सेवक के संबंध में उस प्राधिकारी के पास जिसके अधीन आदेशकर्ता प्राधिकारी कार्य करता हो

अपील के लिए समय सीमा (नियम -20 )

इन नियमो के अंतर्गत कोई भी अपील किये जाने वाले आदेश की अपीलकर्ता व्दारा प्राप्ति से 45 दिनों के बाद स्वीकार नही की जायेगी

प्रावधान यह है कि अपीलीय अधिकारी चाहे तो इस बात से संतुष्ट होने पर कि अपीलकर्ता व्दारा निर्धारित अवधि के बाद अपील करने के विश्वसनीय एवं पर्याप्त कारण है तो निर्धारित कालावधि समाप्त हो जाने के बाद बही अपील विचारार्थ स्वीकार कर सकते है

अपील का प्रारूप एवं विषय - वस्तु (नियम - 21 )

1. अपील करने वाला कोई व्यक्ति कोई भी अपील अपने नाम से करेगा किसी कानूनी सलाहकार अथवा सहायक अथवा रेलवे के किसी संघ के व्दारा अग्रसारित अथवा प्रतिहस्ताक्षरित अपील स्वीकार्य नही होगी बल्कि उसे अपीलकर्ता को केवल अपने हस्ताक्षर के साथ पुन: प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ वापस लौटा दी जायेगी

2. अपील उस प्राधिकारी के पास प्रस्तुत की जायेगी जिसे सक्षम अपील की जानी हो तथा उसकी एक प्रति उस प्राधिकारी के पास भी भेजी जायेगी जिसने अपीलीय आदेश पारित किया हो अपील में उन सभी आवश्यक तथ्यों को शामिल किया जायेगा जिन पर अपील आधारित हो परन्तु उसमे किसी असम्मानजनक तथा अनुचित भाषा का प्रयोग नही किया जायेगा

3. अपीलित आदेश को पारित करने वाले प्राधिकारी अपील की प्रति प्राप्त करने के उपरान्त उस पर टिप्पणी के साथ संबंधित अभिलेखों सहित अपीलीय प्राधिकारी के पास बिना किसी विलम्ब के भेजेगा तथा उसे अग्रसारित करने के लिए अपीलीय प्राधिकारी के पास बिना किसी विलम्ब के भेजेगा तथा उसे अग्रसारित करने के लिए अपीलीय प्राधिकारी के आदेश की प्रतीक्षा नही करेगा

अपील कर विचार किया जाना

(1) निलम्बन के विरुद्ध अपील किये जाने पर अपीलीय अधिकारी इस बात पर विचार करते हुए कि क्या नियम - 5 के उपबंधो के आलोक में तथा मामलो की परिस्थितियों पर विचार करते हुए निलम्बन का आदेश उचित है अथवा नही , उसे समाप्त करेगा अथवा संपुष्टि करेगा

(2) नियम - 6 के अंतर्गत आने वाली किसी शास्ति के दिये जाने पर अथवा उन नियमो के अंतर्गत शास्ति के बढाये जाने पर की गयी अपीलीय प्राधिकारी निम्नलिखित बिन्दुओ पर विचार करेगा:-

अ. क्या इन नियमो के अंतर्गत बनाये गये नियमो का अनुपालन किया गया है अथवा नही और क्या उनका अनुपालन नही किये जाने से संविधान के किसी उपबंध का अतिक्रमण हुआ है या न्याय नही किया गया है

ब) क्या दी गयी अथवा बढाई गयी सजा उपयुक्त अथवा अनुपयुक्त अथवा अधिक कठोर है जिस पर विचार करके निम्नलिखित आदेश पारित करेगा :-

i. सजा की पुष्टि करेगा, उसे बढ़ाएगा , कम करेगा अथवा निरस्त करेगा अथवा

ii. मामले को सजा देने या सजा बढ़ाने वाले प्राधिकारी के पास या किसी अन्य प्राधिकारी के पास वैसे निर्देश, जैसा वह उचित समझे, के पास भेज देगा

उपलब्ध यह है कि :-

I उस प्रत्येक मामले में जिसमे आयोग की परामर्श ली जानी आवश्यक हो, अवश्य ली जायेगी

ii. यदि अपीलीय अधिकारी सजा को बढाते हुए नियम - 6 के उपवाक्य (v) से (ix) के अंतर्गत आने वाली कोई सजा के देने का विचार रखते हो, परन्तु उस मामले में नियम - 9 के अनुसार अनुशासनिक जाँच नही करायी गयी हो तो वह नियम - 14 के उपबंधो को ध्यान में रखते हुए ऐसी जाँच स्वयं करेगा अथवा नियम - 9 के उपबंधो के तहत जाँच कराये जाने का निर्देश देगा और उसके बाद जाँच कार्यवाही के निष्कर्ष पर विचार करके यथोचित आदेश पारित कर सकेगा

iv. नियम - 14 के उपबंधो को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित कार्यवाही करेगा :-

अ. यदि बढाई जाने वाली सजा जिसे देने का अपीलीय अधिकारी विचार रखता है, नियम - 6 के उपवाक्य (iv) के अंतर्गत आती हो तो ऐसी सजा देने से पूर्व उसे इस बात पर ध्यान देना होगा कि क्या वह नियम - 11 के उपनियम - (2) के प्रावधानों के अंतर्गत आती है (यदि आती है तो नियमानुसार जाँच करेगा या किसी से करायेगा)

ब. यदि नियम - 9 के दिए गए उपबंधो के अनुसार जाँच नही की गयी हो तो वह स्वयं जाँच करेगा अथवा नियम - 9 के अंतर्गत जाँच किये जाने का निर्देश देगा तथा उसके बाद जाँच रिपोर्ट पर विचार करके जैसा उचित समझे वैसा आदेश पारित करेगा , तथा

v. किसी अन्य मामलो में सजा बढाने वाला कोई आदेश तब तक नही पारित किया जायेगा जब तब प्रतिवेदन करने का युक्तिसंगत अवसर न प्रदान किया गया हो

(3) नियम - 18 के अंतर्गत दिये गये किसी आदेश के विरुध्द अपील किये जाये पर अपीलीय प्राधिकारी मामले की सभी परिस्थितियों पर विचार करने के बाद जैसा उचित समझे वैसा आदेश पारित करेगा

अपील के आदेशो का कार्यान्यन (नियम - 23)

ऐसा प्राधिकारी जिसने ऐसा आदेश दिया था जिसके खिलाफ अपील की है है वह अपील प्राधिकारी व्दारा पारित आदेशो को लागू करेगा


अराजपत्रित कर्मचारियों के संबंध में विशेष उपबंध (नियम - 24)

(1) यदि किसी अराजपत्रित कर्मचारियों को बर्खास्तगी , पदच्युति , अनिवार्यत: सेवानिवृति अथवा वार्षिक वृध्दि रोकने की सजा दी गयी हो तो अपीलीय प्राधिकारी अपने विवेक से , यदि ऐसा करना उचित समझे तो अपील पर निर्णय करने से पूर्व संबंधित कर्मचारी को व्यक्तिगत सुनवाई (पर्सनल हियरिंग) का अवसर प्रदान कर सकता है आरोपित कर्मचारी चाहे तो ऐसी व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान उसी रेलवे प्रशासन, जिसके अधीन, अपीलकर्ता कार्य करता हो , के अधीन कार्यरत अथवा रेलवे बोर्ड या उससे संबंध्द या अधीनस्थ कार्यालय जैसा भी हो , कर्मचारी को अथवा अपीलकर्ता के रेलवे प्रशासन व्दारा मान्यता प्राप्त यूनियन के ऐसे पदाधिकारी जो वकालत न करता हो, को अपने साथ रख सकता है

(2) कोई बही अराजपत्रित ग्रुप - सी रेल सेवक जिसे रेल सेवा से बर्खास्त , पदच्युत अथवा अनिवार्यत: सेवानिवृत कर दिया हो और उसकी अपीलीय प्राधिकारी व्दारा निष्पादित कर दी गयी हो तो वह अपील पर निर्णय के 45 दिनों के भीतर महाप्रबन्धक से अपनी अपील पर निष्पादन से पूर्व "रेलवे रेट्स ट्रिब्युनल " की परामर्श हेतु अपनी अपील भेजने का आग्रह कर सकता है ऐसा आवेदन प्राप्त होने पर महाप्रबन्धक उस अपील को संबंध्द अभिलेखों के साथ अध्यक्ष रेलवे रेट्स ट्रिब्यूनल की परामर्श प्राप्त होने पर जैसा भी हो , महाप्रबंधक रिवीजन के आवेदन पर नियम - 25 के प्रावधानों के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए ऐसा आदेश देगे जैसा वे उचित समझे उपबंध यह है कि उपरोक्त रीति से निष्पादन किये गये रिवीजन के पश्चात नियम - 25 के अंतर्गत पुन + रिवीजन का आवेदन नही दिया जा सकेगा

(3) कोई ग्रुप - डी से संबंधित कर्मचारी जिसे बर्खास्त, पदच्युत अथवा सेवा से अनिवार्यत: सेवानिवृत कर दिया गया हो, यदि वह ऐसा चाहे तो उपयुक्त अपीलीय प्राधिकारी व्दारा अपनी अपील पर आदेश पारित करने के 45 दिनों के अंदर मण्डल रेल प्रबन्धक से और यदि वह मण्डल रेल प्रबन्धक के नियन्त्रण में कार्यरत न हो तो वरिष्ठम प्रशासनिक ग्रेड के अधिकारी , जिसके अधीन वह कार्य करता हो, के पास दी गयी सजा के विरुध्द रिवीजन का आवेदन प्रस्तुत कर सकता है

मण्डल रेल प्रबन्धक अथवा वरिष्ठम प्रशासनिक ग्रेड के अधिकारी नियम - 25 के अंतर्गत दिये गये नियमो का पालन करते हुए उसके रिवीजन आवेदन पर जैसा उचित समझे वैसा आदेश पारित कर सकता है उपलबन्ध यह है कि उपरोक्त प्रक्रिया ऐसी स्थिति में लागू नही होगी जब मण्डल रेल प्रबन्धक अथवा वरिष्ठतम प्रशासनिक ग्रेड के अधिकारी व्दारा इस नियम के अंतर्गत रिवीजन के आवेदन पर आदेश पारित कर देने के पश्चात पुन: नियम - 25 के अंतर्गत दूसरा रिवीजन का आवेदन नही दिया जा सकेगा

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