अनुशासनात्मक या आपराधिक कार्रवाई
के समापन के पाश्चात्य पदोन्नति की कार्यप्रणाली
b. यदि अनुशासनात्मक या न्यायिक कार्रवाई के समापन से पूर्व चयन नामिका / उपयुक्तता सूची में उससे कनिष्ठ व्यक्ति पदोन्नत हो चुका हो तो उसकी पदोन्नति, यदि आवश्यक हो तो, कनिष्ठ को प्रत्यावर्तित करके भी करनी होगी। उसका वेतन निर्धारण उस अवधि को शामिल करके किया जाएगा, जिस अवधि में निलम्बन आदि के कारण उसे पदोन्नत न किया जा सका।
इस
अवधि को वेतन वृध्दि के लिए तो गिना जाएगा परन्तु इसके बकाया का भुगतान नही किया
जाएगा। इस प्रकार के प्रोफार्मा वेतन - निर्धारण का लाभ ऐसे व्यक्ति को भी दिया
जाएगा जो वरीयता में कनिष्ठतम है और यह प्रमाणित किया जा सकता है कि निलम्बन आदि
के न होने की स्थिति में वह उच्चतर ग्रेड में पदोन्नत हो जाता।
c. उस कर्मचारी को पिछले बकाया वेतन का कोई भुगतान मिलेगा या नही और यदि हाँ तो कितना, यह निर्णय पदोन्नति देने वाला अधिकारी अनुशासन / अपराध की सारी कार्यवाही और संबंधित तथ्यों को समझकर करेगा। यदि अधिकारी उस कर्मचारी को, बकाया या उसका कोई अंश नही देने का निर्णय करे तो उसके कारण लिखेगा।
नोट - यह संभव नही है कि बकाया न देने के सारे कारण
पहले से सोचे जाये या उनके सारे विवरणों को लिखा जा सके फिर भी, ऐसी स्थितियां हो सकती है कि अनुशासन या अपराध की
कार्यवाही में कर्मचारी के कारण देरी लगे या अनुशासन की कार्यवाही में छूटना अथवा
आपराधिक कार्यवाही में छूटना किसी शंका का लाभ देने की वजह से हो या पूरी गवाही
सामने न आने के कारण हो, जिसके लिए
कर्मचारी जिम्मेदार हो ये सारी परिस्थितियां उनमें से कुछ है जिनके आधार पर बकाया
न देना न्याय - संगत ठहराया जा सकता हो ।
रिटायर्ड होने के बाद दोषमुक्त होना :
जिस कर्मचारी को
अनुशासनिक कार्यवाही में पूर्णत : दोषमुक्त कर दिया जाता है, उसे अपनी बारी से पदोन्नति देनी होगी उसकी बारी
नामिक / उपयुक्तता सूची पर उसकी स्थिति के अनुसार होगी यदि उसका कनिष्ठ कर्मचारी
पदोन्नत हो चुका हो तो उसे कनिष्ठ की पदोन्नति तिथि से 'नोटेशनल' पदोन्नति देकर
उच्चतर वेतन मान में उसका 'प्रोफार्मा' वेतन - निर्धारण किया जायेगा सक्षम अधिकारी 'नोटेशनल' पदोन्नति की
तिथि से बकाया वेतन पर भी विचार कर सकता है जो उसे पदोन्नति की वास्तविक तारीख तक
मिलेगा.
यदि
कोई कर्मचारी रिटायर होने के बाद पूर्णत: दोषमुक्त किया जाये तो उपर्युक्त नियम उस
पर भी लागू होंगे यदि उसे बकाया वेतन देने का निर्णय किया जाये तो वह बकाया राशि
नोटेशनल पदोन्नति की तिथि से रिटायर होने की तिथि तक दी जायेगी .
(बोर्ड का पत्र सं. ई. (डी. एण्ड ए.) 97/आर.जी. 6 - 27 , दिनांक
1.10.97,
आर. बी. ई. 1126 / 97.
)
Note - उपर्युक्त
आदेश केवल पूर्णत: दोषमुक्त होने पर लागू होंगे जहाँ सेवा - निवृति के बाद अप्रसन्नता सूचित करके अनुशासित कार्यवाही को
पूरा किया गया हो, वहाँ यह नही माना जाएगा कि लगाये गये
सारे आरोप समाप्त हो गये है अथवा उसे पूर्णतः: दोषमुक्त कर दिया गया है। इसलिए, ऐसे मामलो को सेवारत कर्मचारियों के उन मामलो के
समान माना जाएगा जिन पर छोटी शास्तियां लगाई गई है। इन पर 21.1.93 के पत्र सं. ई (डी एण्ड ए) / 92 आर जी 6 -
149 (ए) के
अनुदेशों के अनुसार कार्यवाही की जाएगी. (बोर्ड का पत्र सं. ई. (डी. एण्ड ए.) 98/आर. जी. 6/44, दिनांक
16.3.99,
आर बी. ई. 46/99.)
2. a) जो व्यक्ति निलम्बन आदि में है और जिसके लिए रिक्ति आरक्षित की गई हो, और जिसके विरुद अनुशासनात्मक करवाई, चयन पदों पर पदोन्नति के लिए अनंतिम नामिका की स्वीकृति के दो वर्ष के भीतर और अचयन पदों के मामले में सूची की स्वीकृति के पश्चात कभी भी पूरी हो जाती है और उस व्यक्ति को केवल छोटी शास्ति का दण्ड दिया जाता है तो उसका नाम स्वाभाविक रूप से चयन नामिका / उपयुक्तता सूची में अपने स्थान पर दर्ज कर दिया जाएगा और उसका नामिका पर अपना या सूची में शामिल किया जाना घोषित कर दिया जाएगा। साथ ही, उसे अपनी बारी पर पदोन्नत कर दिया जाएगा। यदि उसके नाम के प्रेक्षण से पूर्व उससे कनिष्ठ व्यक्ति की पदोन्नति हो चुकी हो तो कनिष्ठतम व्यक्ति का प्रत्यावर्तन करके इसे पदोन्नत किया जाएगा (यदि ऐसा आवश्यक हो) इसका वेतन - निर्धारण सामान्य नियमो के अनुसार होगा ।
b) यदि ऐसे व्यक्ति को दोषी करार देते हुए बड़ी
शास्ति का कोई दण्ड दिया जाता है जैसे - निचले वेतनमान / ग्रेड में प्रत्यावर्तन
या वर्तमान में निचली स्टेज पर लाया जाना आदि,
तो उसका मामला उस प्राधिकारी को विचारार्थ भेजा
जाएगा जिसने मूल नामिका या उपयुक्तता सूची को स्वीकृति प्रदान की है। वह
प्राधिकारी इस बात का निर्णय करेगा कि उपर्युक्त दण्ड के बावजूद क्या वह पदोन्नति
के लिए योग्य है। यदि उसे पदोन्नति का पात्र समझा जाता है तो उसकी पदोन्नति तथा
वेतन - निर्धारण पर उसी तरह कार्रवाई की जाएगी जिस तरह छोटी शास्ति का दण्ड दिये गये कर्मचारी के मामले में की जाती है। (जैसा
कि पहले बताया गया
है)
c) यदि संबंधित व्यक्ति को पदोन्नति के लिए अयोग्य
समझा जाए तो उसका मामला मूल चयन नामिका या उपयुक्तता सूची को अनुमोदित करने वाले
प्राधिकारी से उच्चतर प्राधिकारी के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिये जो उसकी
पदोन्नति के लिए योग्यता अथवा अयोग्यता का निर्णय करेगा।
यदि यह
प्राधिकारी उसे पदोन्नति के योग्य पाता है तो उसके केस पर उसी तरह कार्रवाई की
जाएगी जिस तरह छोटी शास्ति के दण्ड प्राप्त व्यक्ति के मामले में की जाती है यदि
वह प्राधिकारी उस व्यक्ति को पदोन्नति
के लिए अयोग्य पाता है तो उसे पूर्व चयन / पूर्व उपयुक्तता निर्णय के आधार पर
पदोन्नत नही किया जाएगा तथा उसके लिए आरक्षित रिक्ति को अगली नामिका बनाने के समय
शामिल करने के लिए आगे ले जाया जाएगा।
d) जो कर्मचारी निलम्बन आदि में है, अनुशासनात्मक करवाई के समापन के पश्चात उनके
मामलो की समीक्षा करते हुए सक्षम प्राधिकारी के लिए आवश्यक नही कि वह चयन पदों के
लिए निर्धारित कार्य - प्रणाली पर कठोरता से
अमल
करे, जैसे - सेवा - रिकार्ड आदि विभिन्न शीर्षों
के अधीन अंक देना ऐसे मामलों में सक्षम प्राधिकारी केवल सारी परिस्थिति को समझकर
निर्णय लेगा, चाहे यह चयन पदों के लिए हो या अचयन
पदों के लिए इसके लिए यह देखना होगा कि अनुशासनात्मक करवाई के परिणाम के पाश्चात्य
वह व्यक्ति पदोन्नति के लिए पात्र या उपयुक्त है या नहीं।
नोट- अनुशासनात्मक करवाई के समापन पर 'चेतावनी' नही जारी की जानी चाहिए यदि करवाई के बाद पाया जाता है कि रेलवे कर्मचारी कुछ सीमा तक दोषी है तो कम - से - कम सजा , निदा (सैंशोर ) दी जानी चाहिए।
(3) यदि उन सभी कर्मचारियों को विरुद्ध, जिनके लिए रिक्तियां आरक्षित की गई है, अनुशासनात्मक कार्रवाई अनंतिम नामिका के अनुमोदन के दो वर्ष के भीतर पूरी कर ली गई हो, तो चयन व्दारा पदोन्नति की नामिका में उनके नाम उचित स्थान पर जोडकर उसे अंतिम रूप दिया जाना चाहिए। अन्यथा नामिका को आखिरी स्थगित मामले के समापन तक अनंतिम ही रखा जाएगा। इसी तरह अचयन पदों पर पदोन्नति के लिए भी उन सभी अनुशासनात्मक मामलो के निपटान तक नामिका को अनंतिम रखा जाएगा जिनके लिए रिक्तियां आरक्षित की गई है। उसके बाद ही नामिका में उन लोगों के नाम उचित स्थान पर जोडकर उसे अंतिम रूप दिया जाएगा ।
(4) यदि किसी ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई, चयन पद की अनंतिम नामिका के अनुमोदन
के दो वर्ष के भीतर पूरी नही हो पाती और अगली नामिका बनाना आवश्यक हो जाता है या
इसी तरह अचयन पदों पर पदोन्नति के मामले में यदि मूल सूची को अंतिम रूप से दिये
जाने से पहले एक और सूची तैयार करना अनिवार्य हो जाता है तो ताजी नामिका या सूची
निर्धारित पध्दति के अनुसार तैयार की जायेगी बशर्ते -
(क) जिन व्यक्तियों को पहले अवसरों पर उपयुक्त
पाया गया था, परन्तु अनुशासनात्मक कार्रवाई के कारण
शामिल नही किया गया हो, उन्हें चयन /
उपयुक्तता परीक्षा के लिए नही बुलाया जाएगा। यह इस शर्त पर की चयन पदों के मामले में वरीयता सूची में
उनसे कनिष्ठ व्यक्ति पदोन्नति नामिका पर आ जाने के फलस्वरूप पदोन्नत हो गया हो। या
अगर संबंधित व्यक्ति कनिष्ठतम है तो यह प्रमाणित किया जा सके कि निलम्बन आदि के न
होने पर वह अपनी बारी पर अनाकस्मिक रिक्ति पर पदोन्नत हो जाता और स्थानापन्न भत्ता
पाने के लिए निर्धारित न्यूनतम अवधि तक स्थानापन्न रहता ।
(ख) अगले चयन / उपयुक्तता परीक्षा के लिए
रिक्तियों की गणना करते समय उन व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्तियां, जिनके मामले निपटाए नही गये, शामिल नही की
जानी चाहिए।
(5) संबंधित व्यक्ति को सक्षम प्राधिकारी व्दारा
अनुशासनात्मक कार्रवाई के परिणाम पर विचार करने के पश्चात पदोन्नति के अयोग्य माना
जाता है तो ऐसे व्यक्ति का नाम नामिका में से हटा दिया जाएगा ऐसा करने से पहले
संबंधित व्यक्ति को स्पष्टीकरण का अवसर दिया जाएगा ।
नोट - 1 - यदि कोई व्यक्ति अनुशासनात्मक कार्रवाई के समापन
के पश्चात पदोन्नति का हकदार हो जाता है और उसे निम्नलिखित में से कोई दण्ड दिया
गया है तो उसकी पदोन्नति केवल दण्ड की अवधि समाप्त होने के पश्चात ही की जाएगी –
(ii) वेतन
वृध्दि
पर रोक लगाना
(iii) टाइम स्केल में निम्नतर स्टेज पर लाना
(iv) निम्नतर टाइम स्केल , ग्रेड या पद पर लाना
(v)जहाँ किसी आगामी तिथि से वेतन वृध्दि रोकने का
दण्ड दिया गया हो वहाँ संबंधित व्यक्ति को पदोन्नत कर दिया जाना चाहिए और दण्ड
उच्चतर वेतनक्रम में उतनी ही अवधि के लिए लागू किया जाना चाहिए जिससे उसे होने
वाली आर्थिक हानि पहली स्थिति से अधिक न हो।
Note 2 - उपर्युक्त निर्देशों के अनुसार तैयार की गई अनंतिम चयन नामिका उस समय तक अनंतिम ही रहेगी जब तक अनुशासनात्मक कार्रवाई अंतिम रूप से समाप्त नही होती और यदि आवश्यक हो तो अगली नामिका बनकर अंतिम रूप से घोषित नही हो जाती।
(6) कुछ कोटियों
में जहाँ अगले ग्रेड में पदोन्नति के लिए निचले ग्रेड में सेवा काल की निम्नतम
अवधि निर्धारित होती है, हो सकता है कि
कोई कर्मचारी निलम्बन अथवा जाँच के कारण अपने वर्तमान ग्रेड में न्यूनतम सेवा अवधि
पूरी न कर सका हो ऐसी स्थिति में यदि उस कर्मचारी को पूरी तरह दोषमुक्त कर दिया
गया हो या केवल छोटी शास्ति लगाई गई हो, या उसके
निलम्बन को सर्वथा अनुचित करार दिया गया हो तो उससे कनिष्ठ कर्मचारी की पदोन्नति
के बाद की अवधि को अगले ग्रेड में पदोन्नति के लिए निर्धारित न्यूनतम सेवा अवधि
में शामिल किया जाएगा।
यदि छोटी शास्ति उपर्युक्त पैरा 5 की नोट (1)
में दी
गई कोई शास्ति हो जिसकी समाप्ति के बाद ही पदोन्नति दी जा सकती है तो उसे निचले
ग्रेड में निर्धारित सेवा अवधि पूरी करनी होगी। अन्य मामलो में , जहाँ
बड़ी शास्ति लगाई गई हो, यदि सक्षम प्राधिकारी उसे पदोन्नति के योग्य
घोषित करता है तो उसकी पदोन्नति न्यूनतम निर्धारित सेवा अवधि पूरी कर लेने के
पश्चात ही की जाएगी।
(आर.बी.ई. 77 /95 व्दारा संशोधित)
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