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कर्मचारी कल्याण एवं सुविधाएँ

कर्मचारी कल्याण एवं सुविधाएँ

रेलवे में कार्यरत सभी कर्मचारियों को निम्नलिखित कर्मचारी कल्याण की सुविधाएं उपलब्ध हैं -

रेलवे  सस्थान एव  क्लब की सुविधा - भारतीय रेलवे पर लगभग 866 संस्थान और क्लब हैं जिनमें खेलक , पुस्तकालय, रेडियो, टी.वी., बड़े हाॅल, स्टज, तरणता इत्यादि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
अवकाश गृह तथा स्वास्थ्य लाभ गृहों की सुविधा - कर्मचारियों की सुख-सुविधा के लिए अवकाश गृहों की स्थापना की गई है। अवकाश गृहों में दो प्रकार के स्थानों की व्यवस्था की जानी चाहिए -
  • अधिकारी वर्ग के लिए 
  • कर्मचारी वर्ग के लिए 
अराजपत्रित कर्मचारी जिनके पास स्वास्थ्य लाभ  के संबंध में अपने खर्च पर जलवायु बदलने  के लिए साधन उपलब्ध नहीं हो उन के लिए रेलों पर स्वास्थ्य लाभ गृहों की स्थापना भी की गई है। जिनमें चिकित्सा सुविधा भी दी जाती है तथा इसमें ठहरने वालों से हाली डे होम की तरह ही प्रभार लिये जाते है। कतिपय कर्मचारियों को बिना शुल्क लिये भी ठहराने का प्रावधान है। ऐसे मामलो में उसे कर्मचारी हित निधि से प्रतिपूर्ति किया जाता है। इसमें अधिकतम डाॅक्टर की सलाह से 21 दिन तक रूकने की सुविधा दी जाती है।

 कार्यरत तथा सेवानिवृत रेलवे कर्मचारियों  के लिए अवकाश गृहों मे निवास का शुल्क निम्न प्रकार से है -

क्रस कर्मचारियों की  दर प्रतिदिन प्रति सूट






भारतीय रेलवे में अवकाश गृहो की सूची 






 रेल कर्मचारी को बच्चो को विद्यालय की सुविधा एव शैक्षिक सहायता 

रेल कर्मचारी को बच्चा का  विद्यालय की सुविधा एव  शैक्षिक सहायता रेल कर्मचारी जिनकी सेवा तीन वर्ष से कम नहीं हो, अपने बच्चों की शिक्षा  के संबंध में सहायता  के लिए शैक्षिक सहायता आदेश 1988 के अनुसार पात्र होते हैं किंतु छठे वेतन आयोग में शैक्षणिक सहायता की सुविधा हटाकर शिक्षण शुल्क अलाउंस स्कीम लागू की गई है जो निम्नानुसार है -

शिक्षण शुल्क अलाउंस स्कीम 

आर.बी.ई. नं. 135/2008 एवं रेलवे बोर्ड के पत्र संख्या ई(डब्ल्यू)2008/ई.डी.-2/4 दिनांक 01.10.08 पाँचवे वेतन में शिक्षण शुल्क एवं  धन वापसी का दावा कर्मचारी अलग-अलग करते थे। छठे वेतन आयोग मे  इन दोनों प्रकार की धन वापसी को समाहित कर एक नई योजना अपनाई गई है जिसका नाम है -

Child Education Allowance Scheme

 रेल कर्मचारी इस स्कीम के अंतर्गत दो बच्चों तक ट्यूशन फीस - शिक्षण शुल्क की धन वापसी का दावा कर सकते है। इस स्कीम में निम्नलिखित आइटम दावे के अंतर्गत आयेंगे:
  •  ट्यूशन फीस
  •  एडमीशन फीस
  •  लेबोटरी फीस
  •  पुस्तकों का एक सेट
  • यूनिफार्म के दो सेट
  •  स्कूल  शूज 1 सेट
दर: कक्षा नर्सरी से 12 वीं तक रूपये 12000/- प्रतिवर्ष प्रति बच्चा उपरोक्त  दावा के अंतर्गत  3 माह में रूपये 3000/- का भुगतान किया जायेगा।

शारीरिक रूप से विकलांग/मानसिक रूप से अविकसित बच्चे के मामले मे शिक्षा शुल्क की प्रतिपूर्ति अनुमेय होगी चाहे वह संस्थान जिसमें बच्चा अध्ययन कर रहा है। केद /राज्य सरकार या संघ शासित क्षेत्र प्रशासन द्वारा मान्यता प्राप्त न हो, जैसा भी मामला हो।

छात्रावास के लिए आर्थिक सहायता

यदि कोई रेल कर्मचारी अपने स्थानान्तरण के कारण अपने बच्चों को उस स्थान से दूर जहां उसे पदस्थ किया गया है और या वह निवास कर रहा है, किसी आवासीय विद्यालय  के छात्रावास में रखने  के लिए बाध्य हो तो वह प्रति बच्चा 3000 रुपये प्रतिमाह की दर से होस्टल अनुदान सहायता प्राप्त करने का पात्र होता है लेकिन उस बच्चे  के सम्बन्ध में होस्टल आर्थिक सहायता नेय नहीं होगी जिसके लिए कर्मचारी द्वारा शैक्षिक भत्ता लिया गया हो। 31.12.87 से पूर्व जन्मे कर्मचारी  के तीन बच्चों तक तथा इस के उपरान्त जन्मे दो बच्चों तक ही यह सुविधा देय होगी।
  • स्काउट एवं गाइड की सुविधा 
  •  केन्टिन की सुविधा 
  • हस्तकला केन्द्र की सुविधा 
  • व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र की सुविधा 
  • उपभोक्ता सहकारी समितियों की सुविधा 
  • सहकारी ऋण समिति एवं बैंक की सुविधा 
  • सहकारी गृह निर्माण समितियां का प्रावधान - जै से IRWO
  • चलित पुस्तकालय की सुविधा 
  • खेलक कूद एवं मनोरंजन की सुविधा 
  • महिला समिति का प्रावधान 
  • रेल मंत्री कल्याण तथा राहत कोष की सुविधा 
  • कर्मचारी हित निधि का प्रावधान 
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रावधान 
रेल कर्मचारियों को चिकित्सा सुविधाएं

रेल प्रशासन द्वारा रेल कर्मचारियों को इन्डोर एवं आउटडोर चिकित्सा सुविधाएं रेलों पर स्थित 124 अस्पताल, 657 स्वास्थ्य यूनिट एवं 5 अति विशेषज्ञ सुविधाओं वाले  अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराई गई है जिसमें लगभग 2550 कुशल डाॅक्टरों की देखरेख में इलाज एवं परिचर्या की सुविधाएं प्रदान कराई जाती है।

चिकित्सा सुविधा के लिए पात्रता

रेलवे कर्मचारी स्वयं, उसके परिवार के सदस्य एवं आश्रित रिश्तेदार (पास नियमों के अनुसार) चाहे वे किसी भी समूह के हों, चिकित्सा सुविधा पाने के हकदार हैं। जहाँ पर पति पत्नी दोनों ही रेल कर्मचारी हों, वे अपने  पद के अनुसार जो भी अनुकूल हो, चिकित्सा परिचर्या व सुविधाओं का उपभोग कर सकते हैं तथा उनके बच्चों को माता पिता में से किसी भी एक की हैसियत से चिकित्सा सुविधा तथा होने वाले व्यय के प्रतिपूर्ति का दावा करने की अनुमति दी जा सकती है।

अन्य वर्ग जो नियम व शर्तों के अनुसार चिकित्सा सुविधा पाने  के हकदार हो सकते है  -
  • सेवा निवृत रेल कर्मचारी (विकल्प देने पर)
  • पुर्न नियुक्त रेल कर्मचारी
  • रेलवे संरक्षा आयोग  के कर्मचारी और अधिकारी
  • लेखा परीक्षा विभाग के कर्मचारी जो रेलवे से सम्बन्धित हों
  • रेल कर्मचारी जो सार्वजनिक उपक्रम - राइट्स, इरकाॅन, काॅनकोर, केआर.सी., रेट , आर.वी.एन.एल. इत्यादि में प्रतिनियुक्ति पर हों
  • रेल कर्मचारी जो ट्रेड यूनियन में प्रतिनियुक्ति पर हो
  • अर्द्ध रेलवे संगठन जैसे - उपभोक्ता सलाहकार समिति, रेलवे कर्मचारी हित निधि समिति, रेलवे इंस्टीट्यूट, आॅफीसर क्लब व अन्य समितियां
  • अप्रेंटिस
  • प्रादेशिक सेना में भर्ती/कमीशन प्राप्त रेल कर्मचारी
  • सरकारी रेलवे पुलिस के कर्मचारी
  • रेल कर्मचारियों के निजी सेवक
  • आकस्मिक मजदूर जो रेलवे की परियोजना में कार्यरत हो
  • रेलवे प्रशासनों द्वारा नियुक्त ठेकेदार, उनके परिवार के सदस्य, लाइसेंस प्राप्त पोर्टर
  • कमीशन पर वेन्डर
  • रेलवे ब्रिज अधिकारी
  • अन्य प्राइवेट व्यक्ति/यात्री
  • अन्य सरकारी विभाग के कर्मचारी इत्यादि 

चिकित्सा सुविधा सम्बन्धी अन्य प्रावधान एवं नियम
  • रेल कर्मचारी बीमार पड़ जाए व निवास स्थान पर रहने के लिए विवश हो तो डाॅक्टरी देंखभाल की सुविधा निवास स्थान पर निःशुल्क प्रदान की जाती है।
  • अन्य मामलों में निर्धारित फीस का भुगतान करने पर यह सुविधा दी जा सकती है लेकिन वाहन सुविधा के लिए कोई अतिरिक्त फीस नहीं ली जा सकती।
  • महिला रेलवे कर्मचारी और रेलवे कर्मचारी के परिवार की महिला सदस्य के लिए अपने निवास स्थान पर मुफ्त प्रसुति सेवा प्रदान की जा सकती है और निर्धारित फीस का भुगतान करने पर प्रसव के बाद घर पर 10 दिन तक देखरेख की सुविधा भी प्रदान की जा सकती है।
  • पूर्वोत्तर   क्षेत्र में पदस्थ रेल कर्मचारियों को आपातकालीन चिकित्सा/उपचार के लिए सक्षम अधिकारी द्वारा हवाई यात्रा की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।
  • रेलवे कर्मचारी अपने या परिवार के या आश्रित का इलाज करवा रहा हो तो उसे प्राधिकारी चिकित्सा परिचारक से परामर्श कर इलाज लेना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करे  तो डाॅक्टरी खर्च की प्रतिपूर्ति का दावा अनुमेय नहीं होगा। आकस्मिकता अथवा आवश्यकता पर मामले को रेफर करवाकर अन्य अस्पताल में इलाज कराया जा सकता है जिसके लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रतिपूर्ति का दावा स्वीकार करने  के नियम बने  हैं।
  • रोग की जाँच एवं विशेष परीक्षण जिनकी सुविधा नजदीकी सरकारी अस्पताल में भी उपलब्ध नहीं हो तो अन्य किसी निजी जाँच लैब सक्षम अधिकारी की स्वीकृति से कराकर खर्च की प्रतिपूर्ति की जा सकती है।
  • सेवा निवृत रेल कर्मचारियों के प्रतिपूर्ति दाावे का भुगतान उस रेलवे से होगा जहाँ उसने कार्ड का पंजीकरण कराया हो चाहे वह सेवा निवृत किसी भी रेलवे से हुआ हो।
  • सामान्य मामलों मे  दाँतों के इलाज की प्रतिपूर्ति नहीं की जाती है लेकिन कतिपय शर्तों के अधीन खर्च की प्रतिपूर्ति भी सक्षम अधिकारी द्वारा मंजूर की जा सकती है।
  • चिकित्सा प्रतिपूर्ति का सारा कार्य वर्तमान में चिकित्सा विभागमे ही होता है, पहले यह कार्य कार्मिक विभाग में किया जाता था। हाल ही मे  मंडल और मुख्यालय दोनों स्तर पर इस कार्य को करने वाले कार्मिक विभाग के  मंत्रालयिक कर्मचारी को चिकित्सा विभाग में स्थानान्तरित कर पदस्थ कर दिया गया है।
  • विदेशोंमे चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु  रेलवे बोर्ड  के द्वारा निर्देश  दिए गए हैं कि जिन बीमारियों का इलाज भारत में विशेषीकृत रूप से उपलब्ध है उसके लिए प्रतिपूर्ति स्वीकार नहीं की जाएगी, कतिपय मामलों में ही इसकी मंजूरी प्रदान की जा सकती है। इसके लिए भी मेडीकल बोर्ड की सिफारिश के आधार पर ही मुख्य चिकित्सा अधिकारी और महाप्रबंधक की स्वीकृति से मामला रेलवे बोर्ड  को भेजना होता है, इसके उपरान्त ही चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति की जा सकेगी।
  • सेवा निवृत कर्मचारी उदारीकृत स्वास्थ्य योजना 1997 में सम्मिलित होने के  लिए कर्मचारी को अपना विकल्प देना होता है और अन्तिम मूल वेतन के बराबर एक मुश्त अंशदान जमा करना होता है। इस पर उन्हें पहचान पत्र जारी किया जाता है तथा उन्हें अपनी सुविधा अनुसार रेलवे अस्पताल म ें पंजीकरण कराना होता है। चिकित्सा सुविधा का लाभ रेलवे कर्मचारियों के समान ही अंतरंग व बहीरग चिकित्सा सुविधाएं स्वयं व परिवार तथा आश्रितों को प्रदान की जाती है और प्रतिपूर्ति के दावे भी स्वीकार किए जाते हैं।

भारतीय रेल में निम्नलिखित अस्पतालों में विशेषज्ञ इलाज के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है -

बाइ-पास कोरोनरी सर्ज री
  • दक्षिणी रेलवे मुख्यालय चिकित्सालय, पैराम्बूर चैन्नई
  • क्रिश्चियन मेडीकल काॅलेज और अस्पताल, वेल्लौर
  • के.ई.एम. अस्पताल, मुम्बई
  • जसलोक अस्पताल, मुम्बई
  • बम्बई हाॅस्पीटल, मुम्बई
  • कस्तूर बा अस्पताल, भोपाल
  • श्री चित्रा तिरूनाल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडीकल साइंस एण्ड
  • टेक्नोलाॅजी, त्रिवेन्द्रम 
गुर्दो  का प्रत्यारोपण
  • क्रिश्चियन मेडीकल काॅलेज और अस्पताल, वेल्लौर
  • जसलोक अस्पताल, मुम्बई
  • अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली
  • पी.जी.आई., चण्डीगढ 
  • केन्सर एवं ब्लड केंसर
  • टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुम्बई
  • केसर इंस्टीट्यूट, अडियार, चैन्न्ई
हार्ट की सर्ज री के अन्य मामले
  • समारिटन अस्पताल, अलवाये, केरल
  • एन.एम. वार्डिया इंस्टीट्यूट आॅफ कार्डियोलाॅजी, पूणे
  • जी.बी.पंत अस्पताल, मुम्बई
  • दक्षिणी रेलवे मुख्यालय चिकित्सालय, पैराम्बूर चैन्नई
  • क्रिश्चियन मेडीकल काॅलेज और अस्पताल, वेल्लौर
  • के.ई.एम. अस्पताल, मुम्बई
  • बम्बई हाॅस्पीटल, मुम्बई
  • कस्तूर बा अस्पताल, भोपाल
  • श्री चित्रा तिरूनाल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडीकल साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी, त्रिवेन्द्रम
  • अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान, नई दिल्ली
  • पी.जी.आई., चण्डीगढ 
  • एस.एस.के.एम. अस्पताल, कोलकत्ता
प्रबंध में रेलवे कर्मचारी की सहभागिता  योजना की शुरूआत 1994 में की गई। रेलवे बोर्ड, क्षेत्रीय रेलवे और मंडल स्तर पर इसके कार्यकलाप किये जाते  हैं। इसके  उद्देश्य बहुत व्यापक हैं। इनमें -


  • रेलवे के  कार्यों की समीक्षा करना, विभिन्न आंकड़ों तथा विचारों का आदान प्रदान करना जिससे संगठन की कार्यदक्षता और व्यावहारिकता में सुधार हो सके।
  • संगठन को और अधिक प्रभावी बनाने, नई तकनीकी के प्रयोग से रेलवे की छवि बनाने तथा रेल यात्रियों और संरक्षा के कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हो ऐसे तौर तरीकों की पहचान करना और उसके  लिए उपयुक्त कार्य प्रणाली तै यार करना।
  • रेलवे कर्मचारी प्रबंधन की प्रक्रिया में प्रभावी और अर्थपूर्ण भाग ले सके ऐसे सुविधाएं देना।
  • निवेशों के  कार्यक्रमों की समीक्षा करना खासकर मकानों और हित सेवाओं के  बारे  में। 
ग्रुप की बैठकें तीन महीने में एक बार होती है, जिसमें अध्यक्ष मान्यता प्राप्त यूनियनों के  प्रतिनिधि और अन्य नामित सदस्यों को सम्मिलित किया जाता है। जिसमें निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की जाती है -
  • ग्राहकों की देखभाल
  • रेलवेके उत्पाद और सेवा की गुणवत्ता
  • राजस्व से प्राप्ति में बढ़ोतरी  के  तरीके 
  • खर्च पर नियंत्रण
  • कार्यकलापों की व्यावसायिकता
  • मानवीय विकास
  • सरप्लस कर्मचारियों का उपयोग
  • उत्पादन इकाइयों और कारखानों का व्यावसायीकरण

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