SEARCH YOUR QUERY

औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947

औद्यागिक विवाद अधिनियम 1947

इस कानून का उद्देश्य औद्योगिक विवादों की जांच, उनका निपटारा और कुछ दूसरी व्यवस्थाएं करना है। इसके मूल में  सामाजिक न्यास की भावना है। औद्योगिक संबंधो  में एक उचित स्तर पर सौहाद्र्र और सम्बन्ध बने  रहे  यही प्रयत्न होता है। इस कानून के  अधीन अनेक अधिकारी स्थापित किये गये हैं और विशद कानून बनाए गए हैं। हड़ताल, तालाबंदी, छटनी आदि के लिए नियम बनाए हैं।

इस कानून के तहत निम्नलिखित को विवाद की परिभाषा में सम्मिलित किया जाता है -
  • श्रमिकों एवं मालिकों के  बीच विवाद
  • मालिकों एवं मालिकों के बीच विवाद
  • श्रामिकों एवं श्रमिकों के बीच विवाद
उपरोक्त का सम्बन्ध, सेवा शर्तों, कार्य दशाओं, वेतन भत्तो , अनुषंगी लाभ तथा अन्य औद्योगिक कारणों सम्बन्धित हो। यह कानून सभी औद्योगिक संगठनों पर लागू होता है। रेलवे भी इनमें शामिल है।

ताला बन्दी (लॉक  आउट)

जब कोई मालिक या नियोक्ता अपने  रोजगार के स्थान को बन्द कर दे या काम रोक दे या किसी भी संख्या में काम करने  वाले श्रमिकों को काम देने से इन्कार करे  तो इसे ताला बन्दी माना जाता है। इसे निर्धारित नोटिस अवधि से शुरु करने के  प्रावधान हैं अन्यथा इसे अवैध करार दिया जा सकता है।

हड़ताल

हड़ताल का अर्थ किसी उद्योग या रोजगार पर लगे व्यक्तियों के  समूह को एक साथ मिलकर काम बन्द कर देना या किसी भी संख्या में इन रोजगार पर लगे  व्यक्तियों का काम जारी रखने या रोजगार स्वीकार करने  से संयुक्त रूप से अथवा आपसी समझौते  के अनुसार इन्कार कर देना है। इसे निर्धारित नोटिस अवधि से शुरु करने  के प्रावधान हैं अन्यथा इसे अवैध करार दिया जा सकता है।

कानून के अन्तर्गत विवाद निपटारे हेतु विभिन्न व्यवस्थाएं 

कानून के अध्याय 2 में धारा 3 से 9 तक विभिन्न अधिकारियों का प्रावधान किया गया है, जो इस प्रकार है -
  • कार्य समिति (धारा 3)
  • समझौता अधिकारी (धारा 4)
  • समझौता मंडल (धारा 5)
  • जांच न्यायालय (धारा 6)
  • श्रम न्यायालय (धारा 7)
  • न्यायाधिकरण (धारा 7‘ए’)
  • राष्ट्रीय न्यायाधिकरण (धारा 7‘बी’)
इस प्रकार कानून में समझौते , निर्णायक और पंचाट या पंच फैसले की व्यवस्था है।

एडजुकेटर (निर्णायक)

धारा 10 में निर्णायकों की कार्यप्रणाली और भूमिका के विवरण हैं। सरकार किन्हीं मामलों को निर्णायक को दे सकती है। धारा 10(1) डी। किन्हीं मामलो  में  विवाद में  शामिल पक्ष खुद भी निर्णायक के पास जा सकता है। धारा 10 (2)

आर्बीट्रेशन (माध्यस्तम निर्णय)

विवाद में शामिल पक्ष तय करके पंच चुनकर अपनी ओर से पंच फैसले के लिए जा सकते हैं। धारा 10‘ए’। भारतीय श्रम सम्मेलन 1957 ने एक व्यवस्था रखी है, जिसके अनुसार भी पंचाट की नियुक्ति की जा सकती है। पंच फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय के पास अपील की जा सकती है।

गैर मान्यता प्राप्त यूनियन सम्बन्धि प्रावधान

कर्मचारी अपनी यूनियन का रजिस्ट्रेशन कराके प्रशासन से पत्र व्यवहार शुरू करते   हैं और अनेक समस्याओं पर बातचीत भी करना चाहते हैं। रेल प्रशासन ने यह कार्यविधि बनाई कि कर्मचारियों की कठिनाइयां या शिकायतें, किसी भी जरिए से मालूम हों उनका समाधान अभीष्ट है। इन गैर मान्यता प्राप्त यूनियनों से प्राप्त समस्याओं का समाधान किया जाता है किन्तु  उनसे पत्र व्यवहार या बातचीत या समझौता आदि नहीं किये जाते। यदि इस तरह की गैर मान्य यूनियन अपने पत्र में  हड़ताल की धमकी दे और श्रम मंत्रालय को उसकी सूचना दे दे तो प्रशासन की आरे से उनसे कोई बात नहीं की जाती। किन्तु श्रम अधिकारी नियमानुसार अपनी कार्यवाही शुरू कर देते हैं। बेहतर यह है कि श्रम अधिकारी को पूरी स्थिति बता दी जाय और यह भी कि इस यूनियन के साथ बैठकर कोई वार्ता नहीं होगी। अक्सर रेल अधिकारी श्रम मंत्रालय के  पत्रों के  उत्तर नहीं देते जिससे व्यर्थ की परेशानी होती है।

भारतीय रेलों में स्थाई वार्ता तंत्र

भारतीय रेलों पर बहुत पुरानी अपनी विशेष प्रणाली है जो इस कानून के अधीन नहीं आती। श्रम मंत्रालय के अधिकारी इस विशेष स्थिति को समझते हैं। वार्ता तंत्र  के तरीके से रेल कर्मचारियों की बहुत सारी समस्याएं रेलवे बोर्ड के स्तर तक सुलझ जाती है। श्रम मंत्रालय को बीच में आने या इस कानून के अन्तर्गत कार्यवाही की जरूरत नहीं पड़ती। जब किसी विवाद में हड़ताल का नोटिस दिया जाए तो श्रम मंत्रालय और यह कानून तुरन्त प्रभावी हो जाते हैं।

संयुक्त परामर्श पत्र

1966 में सरकार और कर्मचारियों के  संगठनों के  बीच अच्छे संबंध और सहयोग का वातावरण बने, जिससे सार्वजनिक सेवाओं की कार्यदक्षता बढ़ाई जा सके , इस उद्देश्य को लेकर संयुक्त परामर्श तंत्र की शुरूआत की गई इसमें केवल सिद्धान्तों की बात होती है व्यक्तिगत मामलों की नहीं। यह तंत्र विभिन्न मंत्रालयों में राष्ट्रीय, विभागीय और क्षेत्रीय तीन स्तरों पर काम करता है। रेलवे में दो स्तर हैं -
  • संयुक्त विभागीय सलाहकार - रेलवे बोर्ड स्तर - इसका अध्यक्ष सदस्य कार्मिक सरकार की ओर से 5 से 10 तक नामित सदस्य दोनों मान्यता प्राप्त फेडरेशनों से 15-15 सदस्य होते  हैं। इसकी बैठक चार महीने में एक बार होती है।
  • संयुक्त राष्ट्रीय काउंसिंग - केन्द्रीय स्तर पर - केबीनेट सचिव की अध्यक्षता मे  सरकार की ओर से विभिन्न मंत्रालयों से 24 सदस्य और सभी मंत्रालयों के  मान्यता प्राप्त फेडरेशनों से कुल 60 सदस्य इसमें रेलवे के  दोनों फेडरेशनों से 24 सदस्य होते हैं।

पंच फैसला

यदि इन स्तरों पर कोई निर्णय नहीं हो सके तो पंच फैसले की सीमा में आने वाले विषयों को पंच फैसले के लिए सौंप दिया जाता है। इसमें तीन सदस्य होते हैं - एक सरकारी पक्ष का सदस्य, एक कर्मचारी प्क्ष का सदस्य और तीसरा अध्यक्ष निष्पक्ष व्यक्ति होगा।केन्द्रीय श्रम मंत्री इन तीनों को नामित करेंगे। पंच फैसले का निर्णय एवं शर्तें सभी पर बाध्य होगी केवल संसद को निर्णय में परिवर्त न करने का अधिकार है।

स्थायी वार्ता तंत्र (पी.एन.एम.)

राॅयल कमीशन आॅफ लेबर 1931 की सिफारिश के आधार पर 1 जनवरी 1952 से रेलवे में मान्यता प्राप्त यूनियन के साथ वर्तमान वार्ता तंत्र की व्यवस्था शुरू की गई। इन वार्ता तंत्रों में कर्मचारी परिवेदना, सेवा शर्तें तथा अन्य प्रक्रियागत समस्याओं पर यूनियन के प्रतिनिधि और सक्षम अधिकारी के बीच प्रत्यक्ष वार्ताएं की जाती है। इनमें एजेन्डा के  लिए मदों की अधिकतम संख्या 30 होती है और यूनियन के  प्रतिनिधियों की संख्या सामान्य तौर पर 20 एवं कारखाना स्तर पर 15 दिन होती है।  एजेन्डा 21 दिन पहले दिया जाता है और बैठक के एक दिन पहले और बैठक के दिन यूनियन के  प्रतिनिधियों को विशेष आकस्मिक अवकाश दिया जाता है। कुछ (कतिपय) विषयों को स्थायी वार्ता तंत्र की औपचारिक बैठकों के बजाय अनौपचारिक मासिक बैठकों में भी निपटाया जाता है।

स्थायी वार्ता तंत्र निम्न तीन स्तरों पर आयोजित किया जाता है -
रेलवे स्तर पर

  • इकाई, मंडल या कारखाना स्थल
  • रेलवे मुख्यालय स्तर पर
रेलवे बोर्ड स्तर पर
तदर्थ ट्रिब्युनल स्तर पर




No comments:

.

Disclaimer: The Information/News/Video provided in this Platform has been collected from different sources. We Believe that “Knowledge Is Power” and our aim is to create general awareness among people and make them powerful through easily accessible Information. NOTE: We do not take any responsibility of authenticity of Information/News/Videos.

Translate