(1) यह आदेश 5.1.94 से लागू होंगे तथा इन नियमो में किसी प्रकार की छुट के लिए रेलवे बोर्ड से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
(2) यह आदेश उन सभी केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू होंगे जिन्हेंकेन्द्रीय सरकार में पदों पर नियुक्ति होने से संबंधित भर्ती नियमो के अनुरूप बाकायदा प्रतिनियुक्तिकिया गया है।
प्रतिनियुक्ति के सामान्य नियम
(1) शब्द ‘प्रतिनियुक्ति’ केवल उन नियुक्तियों पर लागू होता है जो अस्थाई तौर पर उसी अथवा अन्य विभागों /कार्यालयों (केन्द्रीय सरकार के) में स्थानांतरण व्दारा की गई हो, बशर्ते वह स्थानांतरण सामान्य क्षेत्र से बाहर हो और जनहित में हो।
(2) इस प्रश्न का निर्णय, कि स्थानांतरण नियुक्ति के सामान्य क्षेत्र से बाहर है या नही, वह प्राधिकारी करेगा जो कर्मचारी की उस सेवा या पद पर नियंत्रण करता हो जिससे उसको स्थानान्तरित किया गया हो।
(3) पदोन्नति अथवा सीधी भर्ती व्दारा स्थायी अथवा अस्थायी रूप से किये गये सरकारी कर्मचारियों को प्रतिनियुक्त नही माना जाएगा ।
(4) स्थानातरण व्दारा स्थायी नियुक्ति को भी ‘प्रतिनियुक्ति’ नही माना जाएगा ।
(5) कर्मचारियों के आवेदन पर अस्थायी स्थानातरण जो जनहित में न किये गये हो, प्रतिनियुक्ति नही माने जाएगे।
(6) केन्द्रीय सरकार से केन्द्रीय सरकार में तथा उन मामलो में जहाँ मूल संवर्ग पद तथा संवर्ग बाह्य पद पर वेतनमान तथा महंगाई भत्ता एक समान हो, प्रतिनियुक्ति / बाह्य सेवा के मामले में उच्च वेतनमान वाले व्यक्ति को निम्न वेतनमान वाले पद पर प्रतिनियुक्त पर नियुक्त नही किया जाए
(7) केन्द्रीय सरकार से सार्वजनिक उपक्रम में तथा उन मामलो में जहाँ मूल संवर्ग पद तथा संवर्ग बाह्य पद पर वेतनमान तथा महंगाई भत्ता भिन्न है, प्रतिनियुक्ति / बाह्य सेवा के मामले में कोई नियुक्ति नही की जाएगी यदि ग्रेड वेतन (एक वेतनवृध्दि जोडकर अंतरिम राहत सहित यदि मूल संवर्ग पद में किसी व्यक्ति को यह अनुज्ञेय हो,) वेतन तथा महंगाई राहत (यदि कोई हो) महंगाई भत्ते सहित कुल धन संवर्ग बाह्य पद के अधिकतम से ज्यादा बनता हो ।
निम्नलिखित मामलो में प्रतिनियुक्तिके नियम नहीं लागू होगा।
1. अखिल भारतीय सेवाओ के सदस्य तथा वह जो ऐसे पदों पर नियुक्त है जिनके नियमो का विशिष्ट वैधानिक निर्देशों अथवा आदेशो के अंतर्गत नियमन है।
2. केन्द्रीय सचिवालय में प्रतिनियुक्त अधिकारी जैसे अवर सचिव, उप सचिव, निदेशक, संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, सचिव आदि जिनके लिए समय – समय पर जारी अलग आदेश लागू होंगे।
3. भारत से बाहर पदों पर प्रतिनियुक्ति, तथा
4. विशिष्ट कोटि के पदों पर विशेष वर्ग के कर्मचारियों की नियुक्तियों जैसे मंत्रियों के निजी कर्मचारियों की नियुक्ति आदि, उस सीमा तक जिस सीमा तक इन आदेशो के प्रावधानों का उन आदेशो के प्रावधानों से अंतर है।
5. मानी गई प्रतिनियुक्ति के स्वरूप की नियुक्तियो अथवा इस विशिष्ट शर्त सहित कि कोई प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ता नही मिलेगा, सेवा की अत्यावश्यकता के कारण किए गए संवर्ग बाह्य पदों के स्थानान्तरण – उदाहरणस्वरूप (I) किसी सरकारी कार्यालय /संगठन अथवा उसके किसी हिस्से के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम /स्वायत्त निकाय में बदले जाने अथवाइसके विपरीत परिवर्तन की स्थिति में आंतरिक व्यवस्थाए, तथा (II) अन्य संवर्ग में समान पद पर नियुक्तियां।
प्रतिनियुक्ति पर विकल्प का प्रयोग –
(1) प्रतिनियुक्ति /बाह्य सेवा में नियुक्ति कर्मचारी प्रतिनियुक्ति के पद के वेतनमान में वेतन ले या अपने मूल काडर में मूलवेतन, वैयक्तिक वेतन तथा प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ता ले वह अपना विकल्प चुन सकता है। किसी भी स्थिति में निर्धारित किया गया वेतन संवर्ग के बाहर वाले पद के वेतनमान के न्यूनतम से कम नही होगा।
(2) संवर्ग – से बाहर वाले पद को ग्रहण करने के एक मास के भीतर नये संगठन के प्राधिकारी को कर्मचारी से विकल्प ले लेना चाहिये।
(3) एक बार दिया गया विकल्प अंतिम होगा, तदापि निम्नलिखित परिस्थितियों में कर्मचारी अपना विकल्प बदल सकता है-
(क) जब वह अपने मूल काडर में नेवस्ट बिलों रूल के अंतर्गत प्रोफार्मा आधार पर पदोन्नत हो जाए
(ख) जब वह अपने मूल काडर म निचले ग्रेड में पदावनत कर दिया जाए
(ग) जब वह नये विभाग में किसी अन्य ग्रेड में नियुक्त किया जाए
(घ) जब वह वेतनमान जिसमें प्रतिनियुक्ति अवधि के दौरान वह काडर पर काम कर रहा हो अथवा प्रतिनियुक्ति पर संवर्ग से बाहर के पद कर काम कर रहा हो, भूतलक्षी (रिट्रस्पेक्टिव) अथवा भविष्य व लक्षी प्रभाव से संशोधित हो जाए
प्रतिनियुक्ति पर वेतन निर्धारण –
(1) यदि कर्मचारी प्रतिनियुक्ति के बाद संवर्ग बाह्य पद से संबंधित वेतनमान में वेतन पाने का चुनाव करे तो उसका वेतन उसके उस वेतन को ध्यान में रखकर सामान्य नियमो के अधीन निर्धारित किया जाना चाहिये जो वह नियमित रूप से नियुक्त हो कर अपने केडर पद पर प्राप्त कर रहा था।
(2) यदि कर्मचारी को एक संवर्ग बाह्य पद से दूसरे संवर्ग बाह्य पद पर नियुक्त किया जायेगा और वह अपना वेतन संवर्ग बाह्य पद के वेतनमान में लेने का चुनाव करे तो दूसरे या बाद के संवर्ग बाह्य पद पर उसका वेतन केवल संवर्ग पद के वेतन के सन्दर्भ में निर्धारित किया जाएगा।
(3) यदि दूसरे अथवा बाद के संवर्ग बाह्य पद का वेतनमान पिछले या पहले संवर्ग बाह्य पद के वेतनमान से उच्चतर है तो वेतन निर्धारण संवर्ग पद के वेतन को ध्यान में रखकर किया जाएगा और यदि यह वेतन उस वेतन से कम हो जो वह पहले संवर्ग बाह्य पद पर ले रहा था तो इन वेतनों का अंतर उसे वैयक्तिक वेतन के रूप में प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए और निजी वेतन अगली वेतन व्रध्दियो में आमेलित किया जाएगा, बशर्ते कि कर्मचारी ने इन दोनों अवसरों पर संवर्ग बाह्य पद के वेतनमान में अपनावेतन पाने का चुनाव किया हो ।
(4) यदि प्रतिनियुक्ति अवधि के दौरान कर्मचारी का मूल वेतन उस पद के वेतनमान के अधितकम अथवा पद के निर्धारण वेतन से बढ़ जाए जिसका कारण उसके मूल काडर में नेक्स्ट बिलों रूल के आधार पर अथवा अन्यथा भूतलक्षी पदोन्नति आदि हो सकता है तो उसकी प्रतिनियुक्ति की अधिकतम अवधि 6 मास तक सीमित कर देनी चाहिये और उसे इस अवधि में अपने विभाग को लौटा दिया जाना चाहिये।
(5) किसी ऐसे कर्मचारी की प्रतिनियुक्ति एसजे संवर्ग बाह्य पद पर नही की जाएगी जिक्सा वेतन प्रस्तावित प्रतिनियुक्ति के समय संवर्ग बाह्य पद के वेतनमान के अधिकतम अथवा स्थिर वेतन से अधिक बनता हो
प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ता –
(1) प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते की आधिकारिक दरे इस प्रकार से होगीं –
(क) यदि स्थानांतरण उसी स्टेशन पर हो तो कर्मचारी के मूल वेतन का 5% और अधिकतम 2000रु. मासिक
(ख) अन्य सभी मामलो में कर्मचारी के मूल वेतन का 10% और अधिकतम 4,000 रु. मासिक
नोट :- (a) संशोधित वेतन ढांचे में ‘मूल वेतन’ में अर्थ निर्धारित वेतन बैंड में आहरित वेतन जमा प्रयोज्य ग्रेड वेतन है। लेकिन इसमें किसी भी प्रकार का वेतन जैसे विशेष वेतन इत्यादि शामिल नही है
(आर. बी.ई. 129 /2008, दिनांक 24.9.2008)
(b) मूल वेतन और प्रतिनियुक्ति भत्ता वेतन बैंड – 4 के अधिकतम वेतन – 67, 000 रु. और 10, 000 रु. तक अधिकतम ग्रेड वेतन से अधिक नही होनी चाहिए (1.9.2008से लागू)
(आर.बी.ई. 211/2009, दिनांक 1.12.2009.)
(c) इस उद्देश्य से, ‘उसी स्टेशन पर’ का अर्थ उस स्टेशन के संदर्भ में निश्चित किया जाएगा जहाँ पर कर्मचारी प्रतिनियुक्ति से पूर्व कार्यरत था
(d) यदि पिछले पद के संदर्भ में कर्मचारी के मुख्यालय में परिवर्तन नही होता तो उसे उसी स्टेशन पर स्थानांतरित माना जाएगा और यदि मुख्यालय में परिवर्तन हो जाता है तो उसे उसी स्टेशन पर नही माना जाएगा।
(2) किसी विशेष क्षेत्र के लिए जहाँ जीवन की परिस्थितियां विशेष रूप से अनाकर्षक हो, प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते की विशेष दरे स्वीकार्य हो सकती है यदि (1) में दर्शायी गई दरो की तुलना में विशेष दरे अधिक अनुकूल हो तो उस क्षेत्र में प्रतिनियुक्ति पाने वाले कर्मचारी को विशेष दरो की सुविधा दे दी जानी चाहिये।
(3) (1) के अनुसार स्वीकार्य प्रतिनियुक्ति ड्यूटी) भत्ते को उपयुक्त रूप से सीमित करना होगा। जिससे कर्मचारी के मूल काडर में मिलने वाले मूल वेतन तथा प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते का योंग प्रतिनियुक्ति पद के वेतनमान के आधिकतम से न बढ़े।
(4) प्रतिनियुक्ति पर गये कर्मचारी को नेक्स्ट बिलों रूल का लाभ दे दिया जाना चाहिये परन्तु उसके प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते को उपर्युक्त नियम (3) के अनुरूप नियमित किया जाना चाहिये।
(5) जब कभी प्रतिनियुक्ति की अवधि पांचवे वर्ष के लिए अथवा भर्ती नियमो में उल्लिखित अवधि की सीमा से आगे दूसरे वर्ष के लिए बढाई जाए तो ऐसा करते समय यह स्पष्ट कर दिया जाये कि अधिकारी किसी प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते का हकदार नही होगा।
(6) यदि सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति से कोई कर्मचारी एक मंत्रालय /विभाग /संस्था में एक पद से अपने मूल काडर में लौटे बिना, उसी अथवा मंत्रालय /विभाग /संस्था के किसी अन्य पद पर नियुक्त होता है और यदि दूसरा संवर्ग बाह्य पद पहले संवर्ग बाह्य पद वाले स्टेशन पर ही है तो प्रतिनियुक्ति (ड्यूटी) भत्ते की दर अपरिवर्तित रहेगी।
(7) जब प्रतिनियुक्ति पर लेने वाला प्राधिकारी कर्मचारी को पद में कोई परिवर्तन किये बिना एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर स्थानांतरित कर देता है तो प्रतिनियुक्ति भत्ते की दर नही रहेगी जो मूल तैनाती के समय दी की गयी थी।
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