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रेल कर्मचारी के विधवा को मानार्थ पास के सामान्य नियम




कर्मचारी जो 12.3.87 को या इसके बाद से नौकरी में आये थे, उनकी मृत्यु हो जाने पर विधवा /विधुर को मानार्थ पास मिलता है. नौकरी के दौरान प्रतिवर्ष 2 सेट सुविधा टिकट आदेश कम करके इस योजना में शामिल होते है.

यह सुविधा उन कर्मचारियों की विधवा/विधुर को भी मिलेगी जो 12.3.87 से पहले सेवा में थे किन्तु उन्हें सुविधा टिकट आदेशों के दो सेटों के कल्पित मूल्य के रूप में एक बार 250/- रु.का भुगतान करना होगा. यह भुगतान मंडलीय कैशियर व्दारा नगद या उस रेलवे से जहाँ विधवा पास लेना चाहती है, उसके वित्त सलाहकार एवं मु.ले.अधि के नाम डिमांड ड्राफ्ट व्दारा स्वीकार किया जा सकता है.

विधवा /विधुर को मिलने वाले पासो की संख्या सेवामुक्ति के बाद मिलने वाले पासो की आधी होती है. यदि किसी की मृत्यु नौकरी के दौरान हो जाये तो यह समझ लेंगे कि रिटायर्ड होने पर उसे कितने पास मिलते. इस प्रकार वर्ष में 3 सेट के आधे डेढ़ सेट, 2 सेट का आधा 1 सेट, और 1 सेट का आधा ½ सेट मिलेंगे।

ग्रुप ‘डी’ कर्मचारी की विधवा को दो वर्ष में एक सेट पास अवश्य मिलेगा. यह पास उसी दर्जे के होंगे जिस दर्जे के कर्मचारी को मिलते थे. विधवा / विधुर को कोई असुविधा न हो इसके लिए कर्मचारी को रिटायर्ड होते समय एक परिवार का पहचान पत्र दिया जाता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य की पासपोर्ट साइज फोटो लगी होती है. इसे कर्मचारी की मृत्यु के बाद दिखाकर उस दफ्तर से पास मिलेंगे, जहाँ वह रहती हो और उसे पास लेने हो।

यदि कर्मचारी ने विधवा पास योजना से बाहर रहने का विकल्प दिया हो तो विधवा 250रु. जमा करके पास ले सकेती है.

(बोर्ड का पत्र सं. ई. (डब्ल्यू) 85 पी.एस. 5-8/2, दिनांक 12.3.2001)

नोट– (1) विधवा को यह विकल्प दिया जाएगा कि या तो वह नियम के अनुसार अपना विधवा पास ले अथवा अपने पुत्र /पुत्री की आश्रित विधवा माँ को मिलने वाली पास की सुविधा प्राप्त करे. आश्रित सुविधा के लिए उस पर आय – सीमा के नियम लागू होंगे. एक बार दिया गया विकल्प अंतिम माना जाएगा.

(आर.बी.ई. 312/99, दिनांक 21.12.99)

(2) विधवा यदि अनुकम्पा के आधार पर रेलवे में नियुक्ति पाये तो उसे दो बार विकल्प दिया जाएगा –

i. वह नियुक्ति पर चुन ले कि विधवा पास लेगी या कर्मचारी की हैसियत से सुविधा पास / पीटीओ, 

ii. रिटायर्ड होने पर भी वह तय करे कि विधवा पास लेगी या सेवोत्तर मानार्थपास. दोनों ही अवसरों पर एक बार दिया गया विकल्प अंतिम होगा. 

(आर.बी.ई. 98/2003, दिनांक 13.6.2003)

(3) विधवा माँ मृत कर्मचारी की विधवा के  परिवार के सदस्य के रूप में भी पास शामिल हो सकती है. 65 वर्षीय विधवा पास धारक (प्रथम श्रेणी) को भी विभिन्न शर्तों के अधीन परिचर के बजाय साथी ले जाने की सुविधा होगी, यदि वह स्लीपर श्रेणी से यात्रा करे पास पर आवश्यक पृष्ठांकन भी किया जाएगा. 

(आर.बी.ई. -142 /2000, दिनांक 24.7.2000. एवं आर.बी.ई. – 14/2001, दिनांक 19.1.2001)

(4) मृत कर्मचारी की आश्रित विधवा माँ को कर्मचारी की विधवा के सुविधा पास में भी जोड़ा जाएगा.

(आर.बी.ई. 194/2001, दिनांक 24.9.2001.)

(5) विधवाओं को और रिटायर्ड हुए कर्मचारियों को मेडिकल आधार पर मिलने वाले पासो पर शताब्दी /राजधानी ट्रेनों से यात्रा की जा सकेगी यदि वे उसकी शर्त पूरी करते हो। इस बारे में पास पर एक पृष्ठांकन कर दिया जाएगा।

(आर. बी. ई. 4/2000, दिनांक 6.1.2000.)

(6) विधवा को पास मिलने में असुविधा न हो, इसके लिए पहली बार पास लेने पर पास की देयता के प्रमाण – पत्र की फोटो कापी अर्जी के साथ देना काफी होगा। फ़ार्म पर दो सेवारत कर्मचारियों के हस्ताक्षर की जरूरत नही होगी। प्रोफार्मा से भी यह कालम हटा दिये जाएंगे.

(आर.बी.ई. 62/2002, दिनांक 8.5.2002.) 

(7) रेलवे कर्मचारियों की विधवाएँ जो सहानुभूति आधार पर कारीगर वर्ग में शिक्षु पक्ष पर नियुक्त की जाती है वे उन्हें अपने प्रशिक्षण की समाप्ति के समय तक विधवा पास योजना के तहत पास प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है. इसके पश्चात उन्हें अपने विकल्प चुनना होगा।

(रे. बोर्ड पत्र सं. ई. (डब्ल्यू) 95 पी एस 5 -1/29, दिनांक 8.2007, आर. बी.ई. 5/2007)


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