सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकार को संविधान में मूलभूत अधिकार का दर्ज़ा दिया गया है। इसे संविधान की
धारा 19 (1) के तहत
एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। धारा 19 (1), जिसके
तहत प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है और उसे यह
जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य करती है, इसकी क्या
भूमिका है, इसके क्या कार्य हैं आदि।सूचना का अधिकार
अधिनियम प्रत्येक नागरिक को सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार देता है और इसमें
टिप्पणियां, सारांश अथवा दस्तावेजों या अभिलेखों की
प्रमाणित प्रतियों या सामग्री के प्रमाणित नमूनों की मांग की जा सकती है।
संसद द्वारा 2005 में प्रशासन में पारदर्शिता रखने तथा कार्य के प्रति जवाबदेही को
बढ़ावा दे ने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार विधेयक पारित किया गया, जिसमें एक व्यावहारिक
शासन प्रणाली की स्थापना करने का प्रयोजन है ताकि कोई भी
नागरिक / कर्मचारी संबंधित
प्राधिकारी से यथा आवश्यक सूचना प्राप्त कर सके। यद्यपि सूचना प्राप्त करने का मूल
अधिकार नहीं है फिर भी इस कानून बननेके उपरांत विहित सूचना देने के लिए प्रशासन को बाध्य किया गया है। सुरक्षा संगठनों को छोड़कर सभी
सार्वजनिक प्राधिकरणों/संस्थाओं पर लागू है। इसे 12 अक्टुबर 2005 से लागू किया गया है। रेलवे में भी यह कानून लागू है।
सूचना का अधिकार के मुख्य प्रावधान
- सूचना का अभिप्राय किसी सामग्री चाहे वह किसी भी रूपमें हो जै से रिकोर्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, सलाह, राय, प्रेश विज्ञप्ति, परिपत्र, आदेश, लाग बुक, करार, रिपोर्ट, टिप्पणी, नमूना, पत्रावली, सी.डी., फ्लोपी, डेटा इत्यादि जिन्हें प्राप्त किया जा सकता है।
- रिकोर्ड के अंतर्गत दस्तावेज, पत्रावली, माइक्रोफिल्म, प्रतिलिपि, प्रतिरूपकापी, प्रतिकृति अथवा अन्य कोई सामग्री जो संदर्भ हेतु काम में ली जा सके ।
- सूचना के अधिकार के तहत दस्तावेजों, रिकोर्ड, पत्रावली इत्यादि का निरीक्षण करना, नोट करना, सार लेना अथवा इनकी प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने के अधिकार से है।
- इस अधिनियम की अनुपालना करने के लिए प्रत्येक कार्यालय में जनसूचना अधिकारी, सहायक जनसूचना अधिकारी एवं अपीली प्राधिकारी के नाम से पदभार विहीत अधिकारियों को सौंपे गये है।
- सूचना प्राप्त करने के लिए कोई भी नागरिक/कर्मचारी जनसूचना अधिकारी को अंग्रे जी या हिन्दी में या क्षेत्रीय भाषा में लिखित अथवा इलेक्ट्रोनिक साधनों के माध्यम से इच्छित सूचना का ब्यौरा निर्दिष्ट करते हुए आवेदन करना होता है, जिसके लिए निर्धारित शुल्क भी जमा कराना होता है तथा प्रतिलिपि इत्यादि लेने के लिए भी अलग से शुल्क जमा कराना होता है।
- जन सूचना अधिकारी आवेदन की तारीख से 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्धकराता है, यदि वांछित सूचना मे किसी तीसरे पक्ष के हित निहित हो तो यह समय सीमा 40 दिन निर्धारित की गई है। यदि सूचना सहायक जनसूचना अधिकारी को आवेदन कर लेनी हो तो उपर्युक्त समय सीमा में 5 दिन अतिरिक्त जोड़े जाते है।
- जनसूचना अधिकारी/सहायक जनसूचना अधिकारी निर्दिष्ट अवधि में सूचना उपलब्ध नहीं कराना विफलता / मना करना माना जाता है। जिसके विरूद्ध 30 दिन के भीतर अपील करने की व्यवस्था अधिनियम मे की गई है जो सामान्यतया जनसूचना अधिकारी से वरिष्ठ अधिकारी होते है।
- अपीलीय जनसूचना प्राधिकारी के निर्णय विरूद्ध भी अपील 90 दिन के भीतर केन्द्रीय/राज्य सूचना आयोग के समक्ष करने का प्रावधान है जो दूसरी अपील के अधिकार के नाम से जाना जाता है। इस अपील का निपटान 30 दिन के भीतर आयोग द्वारा किया जाता है और आयोग का निर्णय बाध्यकारी होता है।
- कुछ सूचनाएं जिससे भारत की संप्रभुता, एकता और अखण्डता, सुरक्षा, विदेशों से संबंध या जिससे अपराधों की प्रेरणा मिले को अधिनियम की धारा 8 व 9 के तहत प्रकट नहीं की जाने वाली सूची श्रेणीबद्ध किया गया है।
- इसी तरह कुछ सूचना जिसके प्रकाशन के लिए किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा स्पष्ट रूपसे मनाही की गई हो या जिससे न्यायालय की अवमानना होती हो या जिसके प्रकट होने से संसदीय राज्य विधान मंडल के विशेषाधिकार का उल्लंघन होता हो या जिसके प्रकट होने से किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो जाय अथवा ऐसी सूचना जिससे जांच प्रक्रिया में बाधा पंहुचे अथवा अपराधियों के अभियोजन में बाधा पंहुचे इत्यादि सूचना को प्रकट करने के अनुरोध को अस्वीकार करने के प्रावधान है।
- किसी शिकायत अथवा अपील पर फैसला करते समय यदि आयोग को यह पता चले कि जनसूचना अधिकारी ने किसी आवेदन को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है अथवा निर्धारित अवधि में सूचना उपलब्ध नहीं करवाई है अथवा पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कुंठित मन से जानकारी देनेके अनुरोध को इंकार कर दिया है अथवा जानबूझकर गलत, अधुरी अथवा गुमराह करने वाली सूचना प्रदान कर दी हो अथवा जानकारी उपलब्ध कराने में बाधा पंहुचाई हो, तो आयोग जनसूचना अधिकारी/ सहायक जनसूचना अधिकारी पर आर्थिक दण्ड के रूपमें 250/- रूपये प्रतिदिन अधिकतम 25,000/- रूपये तक शास्ति लगा सकता है अथवा संबंधित अधिकारी के पास यदि कोई पुख्ता दलील अस्वीकार करने की उपलब्ध नहीं हो तो आयोग संबंधित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्म कार्यवाही कर सकता है।
- ना आपूर्ति के समय की गणना लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्राप्त आवेदन की तिथि से आरंभ होता है।
स्थिति
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सूचना
आपूर्ति की समय-सीमा
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1
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सामान्य
स्थिति में सूचना की आपूर्ति
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30 दिन
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2
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जब
सूचना व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से संबंधित हों, तब सूचना की आपूर्ति
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48 घंटे
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3
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जब
आवेदन सहायक लोक सूचना अधिकारी के जरिये प्राप्त होता है, वैसी स्थिति में सूचना की आपूर्त्ति
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क्रम संख्या |
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