भर्ती एव चयन - रेलवे जैसे वृहत उपक्रम को चलाने के लिए निरंतर कर्मठ एवं योग्य कर्मचारियों की आवश्यकता रहती है। जिसके लिए कार्मिक विभाग द्वारा प्रबंध किया जाता है। इसके लिए भर्ती एवं चयन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। सार रूप से देखा जाए तो रेलवे में भर्ती एवं चयन निम्न के द्वारा किये जाते है -
- सीधी भर्ती एवं चयन द्वारा
- विभागीय पदौन्नति एवं चयन द्वारा
- अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति द्वारा
रेलवे में मुख्यतः निम्नलिखित चार कोटियों में भर्ती की जाती है -
ग्रुप - ए - सीधी भर्ती संघ लोक सेवा आयोग द्वारा, सेवारत समुह ‘ख’ में कार्यरत अधिकारियों की पदोन्नति द्वारा, विशेष श्रेणी रेलवे प्रशिक्षुओं के रूप में, सरकार द्वारा किसी अधिकारी के विभागीय अन्तरण द्वारा, यदि आवश्यक हो तो भर्ती करने के प्रावधान है।
ग्रुप - बी - सेवारत समुह ‘ग’ के कर्मचारियों में से दो तरह से की जाती है - सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा द्वारा 30 प्रतिशत रिक्तियां और वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर तैयार की गई नामिका के आधार पर 70 प्रतिशत रिक्तियां लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के माध्यम से पदोन्नति के द्वारा भर्ती होती है।
ग्रुप - सी - निम्नतम कोटियों में रेलवे भर्ती बोर्ड के माध्यम से सीधी भर्ती द्वारा मध्यवर्ती कोटियों में सेवारत रेल कर्मचारियों की विभागीय परीक्षा एवं वरिष्ठता पेनल के आधार पर एवं कार्यरत समुह ‘घ’ सेवा में से पदोन्नति द्वारा, अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति द्वारा, विशेष कोटे (विकलांग, सांस्कृतिक, खेल, स्काउट एवं गाइड इत्यादि) के द्वारा।
ग्रुप - डी - न्युनतम शैक्षिक योग्यता आठवी कक्षा उत्तीर्ण होने पर सीधी भर्ती वर्ग में क्षेत्रीय रेलवे/मंडल उत्पादन इकाइयों पर सीधी भर्ती के माध्यम से लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार के द्वारा तथा अन्य विशेष कोटे विकलांग, सांस्कृतिक, खेल, स्काउट एवं गाइड इत्यादि) में सीधी भर्ती द्वारा सक्षम अधिकारी की अनुमोदन से।
सीधी भर्ती के लिए वर्तमान में 19 स्थानों पर रेलवे भर्ती बोर्ड के कार्यालयस्थापित किए गए हैं जो अपने क्षेत्राधिकार की रेलवे इकाइयों को कर्मचारियों का चयन कर नामिका उपलब्ध कराते हैं। रेलवे भर्ती बोर्ड वर्तमान में निम्न स्थानों पर स्थापित किये गये है -
- अहमदाबाद
- इलाहाबाद
- अजमेर
- भुवनेश्वर
- भोपाल
- बैंगलोर
- चंडीगढ
- चैन्नई
- कोलकता
- गोरखपुर
- गुवाहटी
- जम्मुतवी
- मुज्ज्फरपुर
- मुम्बई
- मालदा
- पटना
- राँची
- सिकंदराबाद
- त्रिवेन्दम
- रेल सेवाओं का वर्गीकरण
पाँचवे वेतन आयोग ने वर्तमान वर्गीकरण समाप्त करने की सिफारिश की थी किन्तु सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया। पुराने वर्गीकरण को इस प्रकार संशोधित किया गया -
ग्रुप ‘क / ए’ - वे पद जिनके वेतनमान का अधिकतम 39,100 रु. से कम नहीं है,
ग्रुप ‘ख / बी’ - वे पद जिनके वेतनमान का अधिकतम 39,100 रु. से कम है किन्तु 9,300 रु. से कम नहीं,
ग्रुप ‘ग/सी’ - वे पद जिनके वेतनमान का अधिकतम 7,440 रु. से अधिक है किन्तु 9,300 रु. से कम है,
ग्रुप ‘घ/डी’ - वे पद जिनके वेतनमान का अधिकतम 7,440 रु. या इससे कम है।
यहाँ वेतन का अर्थ पे बैण्ड + ग्रेड पे से है।
पदों का सृजन
रेलवे बोर्ड ने सभी राजपत्रित और गैर राजपत्रित पदों के सृजन पर रोक लगा दी है किन्तु नीचे लिखी शर्तों के अधीन पदों का सृजन किया जा सकता है -
महाप्रबंधक वित्तीय सहमति के साथ सीमित मामलों में बिना तुलनात्मक मूल्य के पदों को समाप्त (मैचिंग सरेंडर) किए अराजपत्रित पदों का सृजन कर सकता है, यथा-छमाही पावर प्लान की समीक्षा के फलस्वरूप् रनिंग पदों का सृजन, किन्हीं शिक्षु पदों का वजीफे पर सृजन, बड़ी रेल दुर्घटना के बाद बोर्ड द्वारा बनाई गई सीमाओं में दावे निपटाने के लिए पदों का सृजन आदि। तूलनात्मक मूल्य के पदों को समाप्त करके महाप्रबंधक नई परिसम्पत्तियों / सेवाओं के लिए अराजपत्रित पदों का सृजन कर सकता है। निर्धारित प्रक्रिया का पालन करके यह अधिकार मंडल रेल प्रबंधक को भी दिया गया है।
रिक्ति बैंक
तुलनात्मक मूल्य के पदों को समाप्त करके उनका हिसाब रखने के लिए मंडल और मुख्यालय के स्तर पर रिक्ति बैंक बनाने की प्रक्रिया है। यह प्रावधान भी किए गए हैं कि पद के मूल्य का निर्धारित प्रतिशत मंडल
मुख्यालय को और रेलवे बोर्ड को उनके रिक्ति बैंक के लिए भेजेगा।
सरप्लस कर्मचारियों की पुनः तैनाती:
एक निश्चित समयबद्ध कार्यक्रम के अनुसार सरप्लस कर्मचारियों को पुनः तैनात करना जरूरी है। उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था भी होनी चाहिए। इन कर्मचारियों के विवरण एक डाटा बैंक में रखकर उन पर लगातार नजर रखनी चाहिए।
प्रशिक्षण
कर्मचारियों को चयन करने के उपरान्त पदस्थ करने से पहले कतिपय श्रेणियों में विहित प्रशिक्षण देना अनिवार्य होता है। जैसे तकनीकी एवं संरक्षा कोटियों के समस्त कर्मचारी को प्रशिक्षण संस्थानों में निर्धारित अवधि का प्रारम्भिक प्रशिक्षण प्रत्येक क्षेत्रीय रेलवे में स्थापित क्षेत्रीय रेलवे प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से पूरा कराना होता है। रेलवे में प्रमुख प्रशिक्षण केन्द्रों की संख्या 56 है। क्षेत्रीय एवं बेसिक तथा अन्य प्रशिक्षण केन्द्र लगभग 240 स्थापित है। कुल 296 प्रशिक्षण केन्द्र भारतीय रेलवे में प्रशिक्षण का कार्य कर रहें है जो क्षेत्रीय रेलवे के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत नामित मंडलों के कर्मचारियों को विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण कार्य संपादित करते है।
ग्रुप ‘ए’ का प्रशिक्षण - केन्द्रीय प्रशिक्षण संस्थान, रेलवे स्टाफ काॅलेज वडोदरा में यातायात, लेखा, कार्मिक और भंडार सेवाओं के लिए दिया जाता है। इंजीनियरिंग सेवा के लिए पुणे, यांत्रिक सेवाओं के लिए खड़गपुर, इंजीनियरिंग सेवाओं के लिए नासिक और सिगनल एवं दूरसंचार सेवाओं क े लिए सिकन्दराबाद में प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।
ग्रुप ‘बी’ का प्रशिक्षण - ग्रुप ‘ख’ के लिए ओरियेन्टेशन कोर्स रेलवे स्टाफ काॅलेज वडोदरा में आयोजित किया जाता है।
ग्रुप ‘सी’ एव ‘डी’ का प्रशिक्षण - क्षेत्रीये रेलवे प्रशिक्षण संस्थानों में, सिस्टम टेक्नीकल स्कूल एवं एरिया ट्रेनिग स्कूल इत्यादि अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में प्रारम्भिक प्रशिक्षण, पदोन्नति प्रशिक्षण, पुनश्चर्या प्रशिक्षण एवं विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते है
एक केंद्रीय प्रशिक्षण सलाहाकार समिति का गठन रेलवे बोर्ड के द्वारा किया गया है। जो प्रशिक्षण संस्थानों के लिए दिशा-निर्देश एवं पर्यवेक्षण कार्य करती है। विभिन्न वर्गों के लिए कर्मचारियों के प्रशिक्षण की आवश्यकताओं का आंकलन करने के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा कार्यशाला आयोजित करने का निर्देश भी दिया गया है।
प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षकों का चयन एक समिति के द्वारा किया जाता है। जिसमें लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार लिया जाता है। चयनित कर्मचारी को प्रशिक्षण संस्थान में संकाय सदस्य के रूप में 8 वर्ष के टेन्योर पद पर पदस्थ किया जाता है। ऐसे कर्मचारी जो प्रशिक्षक के रूप में चयनित होकर पदस्थ होते है। उन्हें प्रशिक्षण केंद्र में अपने वेतन निर्धारण हेतु निम्न विकल्प उपलब्ध होता है -
- लाइन वेतनमान के समान वेतनमान में चयन होने पर मूल वेतन पर 15 प्रतिशत प्रशिक्षण भत्ता ले सकते है जो सेवा निवृति पर छुट्टी नकदीकरण में गिना जाता है, अन्य लाभों हेतु नहीं अथवा
- लाइन वेतनमान से उच्च वेतनमान में चयन होने पर वेतन निर्धारण का विकल्प प्रस्तुत कर उच्च वेतनमान का लाभ ले सकते है जिस पर प्रशिक्षण भत्ता नहीं दिया जाता है या लाइन वेतनमान को ही अपनाकर 15 प्रतिशत प्रशिक्षण भत्ता लेने का विकल्प दे सकते है।
प्रशिक्षक के रूप में चयनित एवं पदस्थापित कर्मचारी को लाइन के केडर में पदोन्नति होने पर प्रशिक्षण केंद्र में रहते हुए भी ‘नेक्स्ट बिलो रूल’ (एन.बीआर.) के तहत पदोन्नति का लाभ प्रशिक्षण केन्द्र पर ही दिया जाने का प्रावधान है। लाइन के वेतन या वेतनमान में परिवर्तन/संशोधन होने पर कर्मचारी को पुनः विकल्प प्रस्तुत करने के प्रावधान भी है।
प्रशिक्षकों का चयन अधिकतम 52 वर्ष के कर्मचारी का किया जा सकता है। विशेष मामलो में छूट का प्रावधान है जिसमें 54 वर्ष तक की आयु के चयन का प्रावधान भी है ताकि श्रेष्ठतम योग्यता एवं अनुभव का उपयोग प्रशिक्षण हेतु किया जा सकें। किंतु ऐसे सभी मामलों में प्रशिक्षकों को सेवानिवृति से कम से कम छः माह पूर्व वापस अपने मूल केडर / विभाग को भेजने का प्रावधान है ताकि उनका सेवानिवृति प्रकरण नियमित रूप से करवाया जा सके।
चयन के उपरान्त प्रशिक्षकों की नामिका तैयार की जाती है तथा प्रशिक्षण केन्द्र में पदस्थापना से पहले उन्हें प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम (TOT) में भेजने का प्रावधान भी बनाया गया है।
प्रशिक्षकों को अपना ज्ञान अद्यतन रखने एवं अपने संर्वांगीण विकास के लिए 400/- रूपये प्रति तिमाही की पुस्तके खरीदने का अधिकार दिया गया है। जिसकी रसीदें प्रस्तुत करने पर पुस्तकों की लागत की प्रतिपूर्ति करने का नियम भी है। पुस्तके टैन्योर खत्म होने पर मूल केडर/विभाग पर जाने के समय पुस्तकालय में जमा करानी होती है।
रेल संरक्षा समिति की सिफारिश की संख्या 5.7 के आधार पर रेलवे बोर्ड ने प्रशिक्षणों केन्द्रों पर योग का प्रशिक्षण शुरू करने का निर्देश दिया है। यथानुसार प्रतिदिन योग की कक्षाएं प्रत्येक प्रशिक्षण केन्द्र में संचालित की जाती है।
प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रशिक्षार्थी जो प्रोबेशनर, प्रशिक्षु अथवा विभागीय प्रशिक्षु के रूप में नामित होकर आते है। उन्हें नियमानुसार वृतिका उनके पद के वेतनमान के अनुसार प्रतिमाह प्रदान की जाती है। वेतन बैण्ड + ग्रेड पे पर मंहगाई भत्ता भी दिया जाता है। किंतु मकान किराया भत्ता , यात्रा भत्ता इत्यादि प्रारम्भिक प्रशिक्षार्थियों/प्रशिक्षुओं को नहीं दिया जाता है, सिर्फ विभागीय तौर पर चयनित होकर आने वाले प्रशिक्षार्थियों को ही यह भत्ते प्रदान करने के नियम है।
प्रत्येक प्रोबेशनर / प्रशिक्षु को रेल सेवा में प्रवेश पर प्रशिक्षण आरम्भ के समय एक बोण्ड / अनुबंध पत्र भरना होता है जिसमें कतिपय अवधि तक रेल सेवा में रहने का प्रावधान होता है, यदि वह प्रशिक्षण पूरा नही करते है अथवा अनुबंधित अवधि तक रेल सेवा नहीं करते है तो उनसे प्रशिक्षण लागत की वसूली की जाती है, लेकिन यदि कर्मचारी केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/रेलवे अन्य विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में किसी अन्य पद पर चयनित हो जाता है और तकनीकी रूप से रेल सेवा से त्याग-पत्र देकर अनुबंध में उल्लेखित शेष बकाया अवधि का बोण्ड नयी नियुक्ति के वहां प्रस्तुत करे तो ऐसे कर्मचारियों को रेल सेवा छोड़ने पर प्रशिक्षण की लागत जमा नही करानी होती है अर्थात उन्हें प्रशिक्षण लागत वापस जमा कराने से छूट देने का प्रावधान सक्षम अधिकारी को प्राप्त है।
(रेलवे बोर्ड के संदर्भ क्रमांक-ई(एन.जी.)।/86/एपी/1 दिनांक 21.1.1986)
वरियता के नियम - रेल सेवा के लिए चयनित किये गये कार्मिकों की उनके केडर, वेतनमान और सेवाओं के अनुसार सूचियाँ तैयार की जाती है जो भावी पदौन्नति एवं अन्य सेवा लाभ के लिए आधार होती है। इन्हें वरियता सूची कहा जाता है। जिसके लिए अलग-अलग नियम प्रक्रियागत है।
वरियता के लिए मूल नियम यह कि जब तक अन्यथा प्रावधान नहीं किया गया हो किसी ग्रेड में पदस्थ कार्मिकों के बीच वरियता उस ग्रेड में नियुक्ति की तारीख से मानी जाती है। यदि किसी कार्मिक को भर्ती के विशेष नियमो के तहत प्रारम्भिक वेतन अधिक देने पर भी उसे वरियता का लाभ सामान्य रूप से ही प्रदान किया जाता है जैसे स्पोर्ट कोटे में नियुक्तियाँ। संक्षेप में वरियता के नियम निम्न प्रकार है -
जब किसी ग्रेड में नियुक्ति की तारीख दो कर्मचारियों की एक समान हो तो वरियता उस ग्रेड के नीचे के ग्रेड में प्रवेश की तारीख के आधार पर नियत की जाती है। यदि वह तारीख भी एक ही हो तो उससे नीचे के ग्रेड अथवा न्यूनतम ग्रेड तक को आधार बनाया जाता है। यदि उपरोक्त के उपरांत भी प्रवेश की तारीख एक ही हो तो जन्म तिथि से वरियता तय की जाती है।
सीधी भर्ती पर वरियता
अगर सीधी भर्ती के बाद प्रशिक्षण का प्रावधान न हो तो नामिका पर योग्यता के आधार पर क्रम संख्या ही वरीयता का क्रम होगा।
यदि भर्ती के बाद किसी प्रशिक्षण केन्द्र में जाने का कार्यक्रम हो, वहां हुई परीक्षा के आधार पर वरीयता क्रम बनेगा। दो या अधिक व्यक्ति बराबर योग्यता पाएं तो जन्मतिथि के अनुसार जो बड़ा होगा वह पहली वरीयता पाएगा। यदि कोई निर्धारित सीमा के भीतर नियुक्ति के लिए, आए तो उसका नाम समय पर आ जाने वालों के नीचे जा सकता है। पहले चयन के लोग दूसरे चयन से वरिष्ठ माने जाएंगे।
पदोन्नति पर वरियता
चयन की नामिका के क्रम के अनुसार ही वरीयता का क्रम बनेगा। ‘सूटेबिलिटी’ के पदों पर निचले पद की वरीयता ही कायम रहेगी। पदोन्नति से इन्कार करने पर वरीयता की हानि होगी। कतिपय पदों पर जिनमें कुछ पद सीधी भर्ती एवं कुछ पद पदौन्नति से भरें जाते है। वरियता में पदौन्नति वालों के संबंध में निर्धारित प्रक्रिया के बाद नियमित पदौन्नति की तारीख से और सीधी भर्ती वालों के संबंध में कार्यभर ग्रहण करने की तारीख से होती है, बशर्ते दोनों की परस्पर वरियता बनाई जाय। सामान्यतः पदौन्नति वर्ग के कर्मचारी सीधी भर्ती वालों से वरिष्ठ होंगे। जब दोनों के सेवा में प्रवेश की तिथि एक ही हो।
पदोन्नति में चयन की नामिका में दिये गये योग्यता क्रम के अनुसार पदौन्नति के बाद वरियता दी जाती है। पिछले चयन के आधार पर आय कर्मचारी बाद वाले चयन वालों से वरिष्ठ होते है। यदि प्रशासनिक कारणों से नये पद का कार्यभार ग्रहण करने में कुछ विलम्ब हो जाये तो भी वरियता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
स्थानान्तरण पर
- प्रशासनिक हित में नियमित नियुक्ति की तारीख के आधार पर वरीयता बनी रहेगी।
- आपसी बदले के स्थानान्तरण पर जूनियर की वरीयता बनी रहेगी और सीनियर की वरीयता घटकर जूनियर के बराबर आ जाएगी।
- अपने निवेदन पर स्थानान्तरण की सूरत में दूसरे केडर में पहले से नियुक्त स्थायी, अस्थायी और स्थानापन्न कर्मचारियों की नीचे वरीयता दी जाएगी।
वेतन निर्धारण
रेल सेवा के लिए चयन किये गये कार्मिकों का कई अवसरों पर वेतन निर्धारण किया जाता है। वेतन निर्धारण से तात्पर्य वेतनमान में वेतन नियत करने से है। निम्न परिस्थितियां किसी कार्मिक के वेतन निर्धारण के लिए उल्लेखित की जा सकती है -
- प्रथम नियुक्ति के समय
- केडर के पदों पर पदौन्नति के समय
- केडर पद से बाह्य संवर्ग के केडर पर प्रतिनियुक्ति के समय
- बाह्य संवर्ग पद से पुनः केडर पद पर नियुक्ति के समय
- एक बाह्य संवर्ग से दूसरे बाह्य संवर्ग पर नियुक्ति के समय
- पुनर्नियुक्ति के समय
- अनुशासनात्मक कार्यवाही में शास्ति के समय
- अपने से नीचले कर्मचारी के बराबर वेतन (एन.बी.आर.)
- वेतन आयोग लागू करने के समय
- अन्य विशेष मामलो में वेतन निर्धारण के समय जैसे -खिलाड़ियों की भर्ती।
वेतन वृद्धि
- वेतनमान में एक वर्ष की सेवा पूरी होने पर प्रत्येक कर्मचारी को सामान्य नियमानुसार वेतन वृद्धि देने का प्रावधान है। इसके संबंध में निम्न तथ्य स्मरणीय है-
- छुट्टी के दौरान वेतन वृद्धि देने का नियम नहीं है, लेकिन आकस्मिक अवकाश के मामलों में यह नियम लागू नहीं होता है।
- अनाधिकृत बिना वेतन छुट्टी के कारण वेतन वृद्धि 30 दिन पर एक माह के अनुपात में आगे बढ़ा दी जाती है।
- सामान्यतया वेतन वृद्धि जिस माह में देय होती है उस माह की पहली तारीख को प्रदान कर दी जाती है लेकिन विभागीय परीक्षा में उर्तीण होना, दण्ड आरोपित होने, प्रतिनियुक्ति इत्यादि मामलों में वेतन वृद्धि/कमी प्रभावी तारीख से की जाती है।
- किसी वेतन क्रम वाले पद में ड्यूटी की संपूर्ण अवधि को उस वेतन क्रम में वेतन वृद्धियों के लिए गिना जाता है।
- किसी उच्च वेतनमान में कार्य की अवधि को पुनः उसी वेतनमान में नियुक्ति होने पर समान वेतन निर्धारण की स्थिति में वेतन वृद्धि के लिए गिना जाता है। चाहे कर्मचारी ने उच्च वेतनमान में अधिष्ठाई, स्थानापन्न, प्रतिनियुक्ति इत्यादि के रूप में कार्य किया हो।
- विदेश सेवा के मामलों में भी कतिपय परिस्थितियों में वेतन वृद्धि हेतु गिनने का प्रावधान है।
- छठे वेतन आयोग में वेतन वृद्धि वर्ष से जूलाई माह में सभी कर्मचारियो को पात्रतानुसार देय होगी चाहे कर्मचारी की वेतन वृद्धि वर्ष के किसी भी माह में देय हो।
पदोन्नति
कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने, उन्हे सेवा एव अनुभव का लाभ प्रदान करने तथा उनका निरंतर विकास करने के उद्देश्य से सेवा नियमों में पदौन्नति के नियम बनाये गये है। यह निम्नलिखित आधार पर प्रदान की जाती है-
- वरियता के आधार पर
- उपयुक्तता एवं पात्रता के आधार पर
- कार्य निष्पादन के आधार पर
- भावी नितियाँ एवं अवसर के आधार पर
पदौन्नति के नियम चयन पद एवं गैर चयन पदों के लिए अलग-अलग बनाये गये है जिनमें निम्नलिखित प्रकार की पदौन्नतियाँ वर्त मान में प्रक्रियागत है -
- नियमित पदौन्नति
- स्थानापन्न पदौन्नति
- तदर्थ पदौन्नति
- व्यावसायिक परीक्षा द्वारा आरटिजन कर्मचारियों की पदौन्नति
- ए.सी.पी. योजना के तहत पदौन्नति
ग्रुप ‘डी’ से ग्रुप ‘सी’ में पदोन्नति - ग्रुप ‘सी’ की रिक्तियों के निर्धारित प्रतिषत पदों को ग्रुप ‘डी’ कर्मचारियों से चयन के आधार पर भरा जाता है। पात्रता के लिए तीन वर्ष की नियमित ग्रुप ‘डी’ सेवा जरूरी होती है। विभिन्न विभागों में प्रतिषत पदों का निर्धारण कर दिया गया है।
चयन प्रक्रिया
चयन में लिखित और मौखिक परीक्षाएं होती है। लिखित परीक्षा में दो भाग होते हैं। एक में भाषा (हिन्दी) के कामकाजी ज्ञान और दूसरे भाग में साधारण गणित और रेल के बारे में सामान्य ज्ञान के प्रश्न होते हैं। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर सभी को मौखिक परीक्षा में बुलाया जाता है। वरीयता के अंक नहीं होते किन्तु वरीयता के क्रम से नामिका में नाम रखा जाता है।
ग्रुप ‘सी’ में पदोन्न्ति
पदोन्नति के दृष्टिकोण से रेलवे बोर्ड ने विभिन्न पदों का वर्गीकरण गैर-चयन (नाॅन सलेक्षन) और चयन (सलेक्षन) पदों में किया है। दोनों की प्रक्रिया अलग-अलग है इसमें निम्न शामिल है -
- निम्न वेतनमान से उच्च वेतनमान
- एक संवर्ग से दूसरे संवर्ग में
- एक समूह से दूसरे समूह में एवं
- प्रतिनियुक्ति द्वारा
गैर-चयन पदों पर पदोन्नति
इसे वरीयता और उपयुक्तता के आधार पर करते है। वरिष्ठ कर्मचारी के सेवा रिकाॅर्ड, लिखित या मौखिक परीक्षा, विभागीय परीक्षा अथा ट्रेड टेस्ट, जो भी प्रक्रिया उस पद के लिए निर्धारित हो, उसे आधार बनाकर पदोन्नति दी जाती है। जितने पदों के लिए उपयुक्तता सूची बननी हो उतनी संख्या में वरिष्ठ कर्मचारियों के बारे में विचार किया जाता है।
चयन पदों पर पदोन्नति
जितने पदों के लिए नामिका बनानी हो उनकी तीन गुनी संख्या में निचले वेतनमान से वरीयता के आधार पर कर्मचारियों को चयन में शामिल किया जाता है। आरक्षित पदों पर अनुसूचित जाति / जनजाति के कर्मचारियों को बुलाते है। तीन अधिकारियों की चयन समिति चयन प्रक्रिया में लिखित और मौखिक परीक्षा लेती है। चयन परीक्षा के अंक इस प्रकार होते हैं -
व्यावसायिक योग्यता - 50 अंक
व्यक्तित्व, नेतृत्व के गुण, शैक्षिक/तकनीकी योग्यताएं - 20 अंक
सेवा रिकाॅर्ड - 15 अंक
वरीयता - 15 अंक
व्यावसायिक योग्यता के लिए लिखित परीक्षा होती है। कुछ पदों के लिए 35 अंक की लिखित परीक्षा और 15 अंक की मौखिक परीक्षा होती है। चयन में उत्तीर्ण कर्मचारियों के नाम वरीयता के क्रम से नामिका में लिखे जाते हैं
पदोन्नति के सामान्य पदों पर पदोन्नति के नियम
जिन पदों के लिए कई वर्गो के कर्मचारी पात्र होते है उन पर चयन के लिए वरीयता के अंक नहीं होते। उच्चतम न्यायालय के आदेशो के अनुसार नई प्रक्रिया निर्धारित की गई है तथा रिक्तियों की संख्या के तीन गुना पात्र कर्मचारियों को बुलाने का नियम लागू नहीं होता है।
पदोन्नति से इन्कार
पदोन्नति से इन्कार करने वाले कर्मचारी को, चाहे वह चयन पद हो या गैर चयन, भावी पदोन्नति से एक वर्ष के लिए वर्जित कर दिया जाता है। परंतु उसे वर्तमान पद पर उसी स्टेशन पर बने रहने की अनुमति दी जा सकती हैं। एक वर्ष बाद पदोन्नति इस बात पर निर्भर करती है कि पैनल जिसमें उसका नाम था अभी प्रभावी है या समाप्त हो गया। यदि पैनल की अवधि पूरी हो गई हो तो उसे फिर से चयन प्रक्रियाओं में भाग लेना होता है। ऐसी कर्मचारी को एक वर्ष उपरांत पदोन्नति के लिए पुनः बुलाया जाता है और वह पुनः इंकार कर दें तो उसका नाम पैनल से हटा दिया जाता है तथा प्रशासन उसे उसी वेतनमान में दूसरे स्टेशन पर स्थानान्तरित कर सकता है अथवा उसके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की जा सकती है। यदि ऐसे कर्मचारी के इंकार से गाड़ी परिचालन प्रभावित होता हो तो। यदि चयन या गैर चयन प्रक्रिया के बाद या पदोन्नति होने के बाद कोई कर्मचारी अपनी मर्जी से पदावनति मांगे तो उस भी एक वर्ष के लिए भावी पदौन्नति से वंचित कर दिया जाता है।
दो वर्ष की सेवा योग्यता - ग्रुप ‘सी’ में पदोन्नति के लिए ग्रुप ‘सी’ के निचले पद पर कम से कम दो साल की सेवा जरूरी है। तभी पात्रता बनती है। कम अवधि की पदोन्नति के लिए भी यह योग्यता जरूरी है।
शारीरिक अशक्तता के कारण पदोन्नति में भेदभाव नहीं किया जाएगा और सभी को चयन / उपयुक्तता / ट्रेड टेस्ट में बुलाया जाएगा। यह नियम उन कर्मचारियों के लिए भी है जो विकलांग कोटे में भर्ती होते हैं।
ग्रुप ‘सी’ से ग्रुप ‘बी’ में पदोन्नति
ग्रुप ‘सी’ के कर्मचारी 70 प्रतिशत पर वरीयता के आधार पर और 30 प्रतिशत पर सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर चुने जाते हैं। सीमित प्रतियोगिता परीक्षा भी उसी वर्ष में आयोजित की जाती है जिस वर्ष 70 प्रतिशत वाली परीक्षा हो। इसके लिए 5000 रु. के न्यूनतम से शुरू होने वाले वेतनक्रम में पांच साल की नियमित सेवा जरूरी है। सभी इच्छुक कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। सभी विभागो की परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम और प्रष्न पत्र निर्धारित हैं।
स्थानान्तरण
कर्मचारी को वर्त मान पद से कार्यमुक्त कर किसी समान दूसरे पद अथवा उच्च पद की जिम्मेदारी वहन कराने की प्रक्रिया / निति को स्थानान्तरण कहते है। इसके लिए प्रत्येक रेलवे मे एक स्वस्थ निति अपनाई जाती है। जिससे कार्य सूचारू रूप से चलता रहें और कार्मिकों में संतुष्टि बनी रहें।
स्थानान्तरण की परिस्थितिया एवं प्रकार
- प्रशासनिक हित में,
- कानूनी आवश्यकता के आधार पर,
- पदोन्नति पर,
- पदों में कमी आने पर,
- सरप्लस या छंटनी पर,
- स्वयं के अनुरोध पर,
- दूसरे कर्मचारी के साथ अदला-बदली पर,
- नियत कालीन स्थानान्तरण,
- प्रशिक्षण या विकास की दृष्टि से,
- कार्य को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से,
- संवेदनशील पदों के होने से,
- दण्ड की कार्यवाही में,
- गोपनीय कारणों से ,
- अंतर रेलवे,
सामान्य सिद्धान्त
- प्रशासनिक हित हो तो वरीयता की हानि नहीं होती,
- कम वेतन पर तभी भेजते हैं जब कर्मचारी की लिखित प्रार्थना हो या दंड पर हो,
- अपनी प्रार्थना पर वरीयता की हानि होती है,
- पारस्परिक निवेदन पर वरीयता में अन्तर आता है।
- स्कूल सेशन के मध्य में स्थानान्तरण केवल प्रशासन के हित में ही और अपवाद स्वरूप में ही करने के प्रावधान है,
- विंकलांग कर्मचारियों / आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को अपने मूल निवास स्थान या उसके समीप स्थानान्तरण के आवेदनो को प्राथमिकता दी जाती है।
- माता-पिता, जिसका बच्चा मानसिक रूप से अपंग हो, उन्हें अपनी पसंद के स्थान पर स्थानान्तरण का अवसर सहानुभूति पूर्वक देने का नियम है।
- सेवा निवृति में दो वर्ष से कम समय रहते समान पद पर एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन स्थानान्तरण नहीं किया जाने का नियम है।
- चिकित्सा के आधाार पर विकोटिकृत कर्मचारियों को वैकल्पिक उपयुक्त पद पर उसी विभाग या अन्य विभाग में उसी स्टेशन पर लगाये जाने का प्रावधान है।
संवेदनशील पदों पर
जिन पदों पर जनता, ठेकेदारों या कर्मचारियों से बहुदा सम्पर्क होता हो या पैसे का काम होता हो वे संवेदनषील होते हैं। अधिकारियों के सभी पद संवेदनशील माने जाते हैं। इन पदों पर चार वर्ष से अधिक नहीं रखा जाता।
नियतकालिक स्थानान्तरण
- सहायक स्टेशन मास्टर और वाणिज्य कर्मचारियों का स्थानान्तरण उनकी प्रसिद्धि या शिकायतों को ध्यान में रखकर करते हैं।
- टिकट परीक्षण वाले कर्मचारियों को अनियमित कार्य करने पर दूसरे मंडल में भी भेजा जाता है।
- पति और पत्नी का एक ही स्टेशन पर स्थानान्तरण करने के लिए उनके आवेदन पर सहानुभूति से विचार किया जाता है।
- यूनियन पदाधिकारियों के स्थानान्तरण का आदेश सामान्य रूप से यूनियन की सहमति के बिना नहीं किया जाता। उनकी अपनी प्रार्थना पर, पदोन्नति पर, विजिलेंस आदेश और किसी कानूनी जरूरत के लिए स्थानान्तरण हो सकता है। यूनियन सहमत न हो तो महाप्रबंधक का निर्णय अंतिम होता है।
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